अध्याय आठ - भगवान नृसिंह द्वारा असुरराज का वध
1 नारद मुनि ने आगे कहा : सारे असुरपुत्रों ने प्रह्लाद महाराज के दिव्य उपदेशों की सराहना की और उन्हें अत्यंत गंभीरतापूर्वक ग्रहण किया। उन्होंने षंड तथा अमर्क नामक अपने गुरुओं द्वारा दिये गये भौतिकतावादी उपदेशों का तिरस्कार कर दिया।
2 जब शुक्राचार्य के पुत्र षंड तथा अमर्क ने देखा कि सारे विद्यार्थी असुर पुत्र प्रह्लाद महाराज की संगति से कृष्णभक्ति में आगे बढ़ रहे हैं, तो वे डर गये। अतएव वे असुरराज के पास गये और उनसे सारी स्थिति यथावत वर्णन कर दी।
3-4 जब