bhaktichaitanyswami (1)

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अध्याय चौबीस – भगवान का मत्स्यावतार (8.24)

1 महाराज परीक्षित ने कहा: भगवान हरि नित्य ही अपने दिव्य पद पर स्थित हैं; फिर भी वे इस भौतिक जगत में अवतरित होते हैं और विभिन्न रूपों में स्वयं को प्रकट करते हैं। उनका पहला अवतार एक बड़ी मछली के रूप में हुआ। हे श्रील शुकदेव गोस्वामी! मैं आपसे उस मत्स्यावतार की लीलाएँ सुनने का इच्छुक हूँ।

2-3 किस कारण से भगवान ने कर्म-नियम के अन्तर्गत विविध रूप धारण करनेवाले सामान्य जीव की भाँति गर्हित मछली का रूप स्वीकार किया? मछली का रूप निश्चित रूप से गर्हित एवं घोर पीड़

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