भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय सात भगवदज्ञान
मनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये ।
यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्त्वतः ॥ 3 ॥
मनुष्याणाम्– मनुष्यों में से;सहस्त्रेषु– हजारों;कश्चित्– कोई एक;यतति– प्रयत्न करता है;सिद्धये– सिद्धि के लिए;यतताम्– इस प्रकार प्रयत्न करने वाले;अपि– निस्सन्देह;सिद्धानाम्– सिद्ध लोगों में से;कश्चित्– कोई एक;माम्– मुझको;वेत्ति– जानता है;तत्त्वतः– वास्तव में।
भावार्थ : कई हजार मनुष्यों में से कोई एक सिद्धि के लिए प्रयत्नशील होता है और इस तरह सि