भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय सात भगवदज्ञान
न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः ।
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः ॥ 15 ॥
न– नहीं;माम्– मेरी;दुष्कृतिनः– दुष्ट;मूढाः– मूर्ख;प्रपद्यन्ते– शरण ग्रहण करते हैं;नर-अधमाः– मनुष्यों में अधम;मायया– माया के द्वारा;अपहृत– चुराये गये;ज्ञानाः– ज्ञान वाले;आसुरम्– आसुरी;भावम्– प्रकृति या स्वभाव को;आश्रिताः– स्वीकार किये हुए।
भावार्थ : जो निपट मुर्ख है, जो मनुष्यों में अधम हैं, जिनका ज्ञान माया द्वारा हर लिया गया है तथा जो असुरों की नास्ति

