hindibhashi sangh (1)

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भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक

अध्याय सात भगवदज्ञान

अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम् ।

जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत् 5

अपरा– निकृष्ट, जड़;इयम्– यह;इतः– इसके अतिरिक्त;तु– लेकिन;अन्यास्– अन्य;प्रकृतिम्– प्रकृति को;विद्धि– जानने का प्रयत्न करो;मे– मेरी;पराम्– उत्कृष्ट, चेतन;जीव-भूताम्– जीवों वाली;महा-बाहो– हे बलिष्ट भुजाओं वाले;यया– जिसके द्वारा;इदम्– यह;धार्यते– प्रयुक्त किया जाता है, दोहन होता है;जगत्– संसार।

भावार्थ : हे महाबाहु अर्जुन! इनके अतिरिक्त मेरी एक अन्य परा
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