भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय सात भगवदज्ञान
अपरेयमितस्त्वन्यां प्रकृतिं विद्धि मे पराम् ।
जीवभूतां महाबाहो ययेदं धार्यते जगत् ॥ 5 ॥
अपरा– निकृष्ट, जड़;इयम्– यह;इतः– इसके अतिरिक्त;तु– लेकिन;अन्यास्– अन्य;प्रकृतिम्– प्रकृति को;विद्धि– जानने का प्रयत्न करो;मे– मेरी;पराम्– उत्कृष्ट, चेतन;जीव-भूताम्– जीवों वाली;महा-बाहो– हे बलिष्ट भुजाओं वाले;यया– जिसके द्वारा;इदम्– यह;धार्यते– प्रयुक्त किया जाता है, दोहन होता है;जगत्– संसार।