अध्याय बारह पूर्ण समाज – चार आध्यात्मिक वर्ग (7.12)
1 नारद मुनि ने कहा: विद्यार्थी को चाहिए कि वह अपनी इन्द्रियों पर पूर्ण संयम रखने का अभ्यास करे। उसे विनीत होना चाहिए और गुरु के साथ दृढ़ मित्रता की प्रवृत्ति रखनी चाहिए। ब्रह्मचारी को चाहिए कि वो महान व्रत लेकर गुरुकुल में केवल अपने गुरु के लाभ के हेतु ही रहे।
2 दिन तथा रात्रि के सन्धिकाल में प्रातःकाल तथा संध्या समय उसे गुरु, अग्नि, सूर्यदेव तथा भगवान विष्णु के विचारों में लीन रहना चाहिए और गायत्री मंत्र को जपते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए।
3 विद्य