अध्याय पैंतीस - कृष्ण के वनविहार के समय गोपियों द्वारा कृष्ण का गायन (10.35)
1 श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब भी कृष्ण वन को जाते थे गोपियों के मन उन्हीं के पीछे भाग जाते थे और इस तरह युवतियाँ उनकी लीलाओं का गान करते हुए खिन्नतापूर्वक अपने दिन बिताती थीं।
2-3 गोपियों ने कहा: जब मुकुन्द अपने होंठों पर रखी बाँसुरी के छेदों को अपनी सुकुमार अँगुलियों से बन्द करके उसे बजाते हैं, तो वे अपने बाएँ गाल को अपनी बाईं बाँह पर रखकर अपनी भौंहों को नचाने लगते हैं। उस समय आकाश में अपने पतियों अर्थात सिद्धों सम