अध्याय – चवालीस कंस वध (10.44)
1 श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा: इस तरह सम्बोधित किये जाने पर कृष्ण ने इस चुनौती को स्वीकार करने का मन बना लिया। उन्होंने चाणुर को और भगवान बलराम ने मुष्टिक को अपना प्रतिद्वन्द्वी चुना।
2 एक दूसरे के हाथों को पकड़कर और एक दूसरे के पाँवों को फँसाकर ये प्रतिद्वन्द्वी विजय की अभिलाषा से बलपूर्वक संघर्ष करने लगे।
3 वे एक दूसरे से मुट्ठियों से मुट्ठियाँ, घुटनों से घुटनें, सिर से सिर तथा छाती से छाती भिड़ाकर प्रहार करने लगे।
4 प्रत्येक कुश्ती लड़ने वाला अपने विपक्षी को खींचकर