कृपया मेरा विनम्र प्रणाम स्वीकार करें।
(Please accept my humble obeisances)
श्रील प्रभुपाद की जय हो !
(All Glories to Sril Prabhupada)
ॐ श्री गुरु गौरांग जयतः
श्रीमद भगवद्गीता यथारूप — आमुख
1 भगवद्गीता यथारूप को प्रस्तुत करने का एकमात्र उद्देश्य बद्ध जिज्ञासुओं को उस उद्देश्य का मार्गदर्शन कराना है, जिसके लिए कृष्ण इस धरा पर ब्रह्मा के एक दिन में एक बार अर्थात प्रत्येक 8,60,00,00,000 (आठ अरब साठ करोड़) वर्ष बाद अवतार लेते हैं। भगवद्गीता में इस उद्देश्य का उल्लेख हुआ है और हमें उसे उसी रूप में ग्रहण