जलन, ईर्ष्या क्या है
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदु:खसुखः क्षमी ।13।
संतुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्र्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः ।14।
अद्वेष्टा- ईर्ष्याविहीन;सर्व-भूतानाम्- समस्त जीवों के प्रति;मैत्रः- मैत्रीभाव वाला;करुणः- दयालु;एव- निश्चय ही;च- भी;निर्ममः- स्वामित्व की भावना से रहित;निरहंकार- मिथ्या अहंकार से रहित;सम- समभाव;दुःख- दुख;सुखः- तथा सुख में;क्षमी- क्षमावान;सन्तुष्टः- प्रसन्न, तुष्ट;सततम्- निरन्तर;योगी- भक्ति में निरत;यत-आत्मा-





