साँवरे की इन अंखियों को देख
नीगोरी अँखियाँ भी भर आयी हैं
जाने क्यों अब तक हमने ये
अँखियाँ कहीं और लगाई हैं
इन कजरारी अंखियों में
सारी दुनिया ही तो समाई है.
फिर भी हमने क्यों अपनी
अलग एक दुनिया बसाई है.
ये ओंठ जैसे कह रहे हो
अब आ जा मेरे पास
यूँ न ठोकरे खा
तेरा रिश्ता मुझसे खास
खास ही तो है वो पिता हैं हमारे
हमने अपने सम्बन्ध हैं बिसारे
पर वो अभी भी रिश्ते को निभाते
सदा हमारे लौटने की बाट निहारे.
आज जो ये पीड़ा हो रही दूरी की
वो किसी अपने के लिए ही होता है
दिल तब ही तड़पता है यूँ बेबस
जब गहरा रिश्ता कोई खोता है
मेरी