भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय पन्द्रह पुरुषोत्तम योग
यो मामेवमसम्मूढो जानाति पुरुषोत्तमम् ।
स सर्वविद्भजति मां सर्वभावेन भारत ।। 19 ।।
यः- जो;माम्- मुझको;एवम्- इस प्रकार;असम्मूढः- संशयरहित;जानाति- जानता है;पुरुष-उत्तमम्- भगवान्;सः- वह;सर्व-वित्- सब कुछ जानने वाला;भजति- भक्ति करता है;माम्- मुझको;सर्व-भावेन- सभी प्रकार से;भारत- हे भरतपुत्र।
भावार्थ : जो कोई भी मुझे संशयरहित होकर पुरुषोत्तम भगवान के रूप में जानता है, वह सब कुछ जानता है। अतएव हे भरतपुत्र! वह व्यक्ति मेरी पूर्ण भक्ति म