अध्याय सोलह – भगवान की विभूतियाँ (11.16)
1 श्री उद्धव ने कहा : हे प्रभु, आप अनादि तथा अनन्त, साक्षात परब्रह्म तथा अन्य किसी वस्तु से सीमित नहीं हैं। आप सभी वस्तुओं के रक्षक तथा जीवनदाता, उनके संहार तथा सृष्टि हैं।
2 हे प्रभु, यद्यपि अपवित्र लोगों के लिए यह समझ पाना कठिन है कि आप समस्त उच्च तथा निम्न सृष्टियों में स्थित हैं, किन्तु वे ब्राह्मण जो वैदिक मत को भलीभाँति जानते हैं आपकी वास्तविक रूप में पूजा करते हैं।
3 कृपया मुझसे उन सिद्धियों को बतायें जिन्हें महर्षिगण आपकी भक्तिपूर्वक पूजा द्वारा प्