प्रेम की हर पराकाष्ठा तो
दर्शा गए हैं कृष्ण कन्हैया
माँ-बेटे का प्रेम दिखाया
चाहे देवकी हो या यशोदा मैया
राधा से प्रेम के लिए
वो तो है जग - जाहिर
हर रिश्ते को निभाने में
रहे हैं वो माहिर
रुक्मणी को भी दिए
उसके अधिकार सारे
सबको प्यार दिया
जिसके भी थे वो प्यारे
द्रोपदी की लाज बचायी
जब थी वो संकट में घोर
उस समय उसकी नैया थामी
जब दिया था सबने भँवर में छोड़
मित्रता की मशाल दे गए
वो सुदामा संग निभाकर
कोई कर नही पाया ऐसा मित्र-प्रेम
आज तक उससे आगे जाकर
अर्जुन से इतना प्रेम कि
दे गए गीता का ज्ञान
इसमे छुपा था प्रेम मानव - मा