भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय नौ परम गुह्य ज्ञान
मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् ।
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ।। 10 ।।
मया– मेरे द्वारा;अध्यक्षेण– अध्यक्षता के कारण;प्रकृतिः– प्रकृति;सूयते– प्रकट होती है;स– सहित;चर-अचरम्– जड़ तथा जंगम;हेतुना– कारण से;अनेन– इस;कौन्तेय– हे कुन्तीपुत्र;जगत्– दृश्य जगत;विपरिवर्तते– क्रियाशील है।
भावार्थ : हे कुन्तीपुत्र! यह भौतिक प्रकृति मेरी शक्तियों में से एक है और मेरी अध्यक्षता में कार्य करती है, जिससे सारे चार तथा अचर प्राणी उत्पन्न होते