भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय 2 : गीता का सार
क्रोधाद् भवति सम्मोहः सम्मोहात् स्मृति-विभ्रमः ।
स्मृति-भ्रमसद् बुद्धि-नासो बुद्धि-नासत् प्रणस्यति ॥ 63॥
क्रोधात्-क्रोध से; भवति-होता है; सम्मोहः-पूर्ण भ्रम; सम्मोहत्-भ्रम से; स्मृति-स्मृति का; विभ्रमः-भ्रम; स्मृति-भ्रमसात्-स्मृति के भ्रमित होने के बाद ;बुद्धि-नाशः-बुद्धि का नाश; बुद्धि-नासत्-और बुद्धि के नाश से; प्रणश्यति-गिर जाती है।
भावार्थ : क्रोध से मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मरणशक्ति का विभ्रम हो जाता है। जब स्मरणशक्ति भ्र
