redhekrishna (1)

12803001058?profile=RESIZE_400x

भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक

अध्याय आठ भगवत्प्राप्ति

तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।

मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयः 7

तस्मात्– अतएव;सर्वेषु– समस्त;कालेषु– कालों में;माम्– मुझको;अनुस्मर– स्मरण करते रहो;युध्य– युद्ध करो;– भी;मयि– मुझमें;अर्पित– शरणागत होकर;मनः– मन;बुद्धिः– बुद्धि;माम्– मुझको;एव– निश्चय ही;एष्यसि– प्राप्त करोगे;असंशयः– निस्सन्देह ही।

भावार्थ : अतएव, हे अर्जुन! तुम्हें सदैव कृष्ण रूप में मेरा चिन्तन करना चाहिए और साथ ही युद्ध करने के कर्तव्य को भी पूरा कर
Read more…