भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय पन्द्रह पुरुषोत्तम योग
न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ।। 6 ।।
न-नहीं;तत्-वह;भासयते-प्रकाशित करता है;सूर्यः-सूर्य;न-न तो;शशाङकः-चन्द्रमा;न- न तो;पावकः- अग्नि, बिजली;यत्- जहाँ;गत्वा- जाकर;न- कभी नहीं;निवर्तन्ते- वापस आते हैं;तत्-धाम- वह धाम;परमम्- परम;मम- मेरा।