loaxminarayan (1)

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भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक

अध्याय पन्द्रह पुरुषोत्तम योग

न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावकः ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ।। 6 ।।

-नहीं;तत्-वह;भासयते-प्रकाशित करता है;सूर्यः-सूर्य;-न तो;शशाङकः-चन्द्रमा;- न तो;पावकः- अग्नि, बिजली;यत्- जहाँ;गत्वा- जाकर;- कभी नहीं;निवर्तन्ते- वापस आते हैं;तत्-धाम- वह धाम;परमम्- परम;मम- मेरा।

भावार्थ : वह मेरा परम धाम न तो सूर्य या चन्द्र के द्वारा प्रकाशित होता है और न अग्नि या बिजली से। जो लोग वहाँ पहुँच जाते हैं, वे इस भौतिक जगत् में फिर
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