भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय सात भगवदज्ञान
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते ।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥ 19 ॥
बहूनाम्– अनेक;जन्मनाम्– जन्म तथा मृत्यु के चक्र के;अन्ते– अन्त में;ज्ञान-वान्– ज्ञानी;माम्– मेरी;प्रपद्यते– शरण ग्रहण करता है;वासुदेवः– भगवान् कृष्ण;सर्वम्– सब कुछ;इति– इस प्रकार;सः– ऐसा;महा-आत्मा– महात्मा;सु-दुर्लभः– अत्यन्त दुर्लभ है।
भावार्थ : अनेक जन्म-जन्मान्तर के बाद जिसे सचमुच ज्ञान होता है, वह मुझको समस्त कारणों का कारण जानकर मेरी शरण में आता