Daily number of rounds of Hare Krishna mahamantra.
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When, where and how did you come into contact with the Hare Krishna Movement?
I was searching about who is god ? why there are so many devi devta? why? so many religions,sects? what is cause of suffering ? is there any master solution to all problems? Then I started reading about various philosophies like vedanta , vivekananda , adwaita ,budhha,..i got so confused and finally by mercy of Krishna ,i found Bhagvad gita as it is and other prabhupada books.
Hare Krishna
Name the nearest or most frequently Visited ISKCON temple/ centre and name few of the devotees whom you know.
mumbai
Please describe yourself so that other like minded devotees can find you.
simple and friendly..
Comments
Dear Devotee, Hare Krishna, dandvats. Please accept my humble obeisances. All glories to Srila Prabhupada. I do wish you a very happy Krishna conscious day today on your birthday and pray for you to have Krishna conscious years in the time to come, to let all your material and spiritual desires be fulfilled and for you to have this as your last birth in this material world. Take care, Gauranga, Radhe Radhe, Hari Hari, Hare Krishna.
Krshne matri astu - May your attention always be on Krsna....
Hare Krishna dandvats, Prabhuji. Please accept my humble obeisances. All glories to Srila Prabhupada. I do hereby wish you all the best in Krishna consciousness, Gauranga, Radhe Radhe, Hari Bol! Hare Krishna.
लगी जन तोड़ो रे गिरधर गोपाल: श्याम, जो कुशल स्त्रियाँ है वो तुमसे प्यार करती है, क्योंकि तुम आत्मा हो! सांसारिक पति तो एक देह है! पति सुत से तो आज तक कष्ट ही मिला है! किसी को भी सुख नहीं मिला! प्रेम की डोर मत तोड़ो! हमारी आशाए तुमसे युगों युगों से लगी है! वही भाव मीरा जी कह रही है! कोई भी जीव तुमसे प्रेम नहीं कर सकता! तुम अपनी और से करते हो, तो वो करने लग जाता है! तुम प्रेम की डोर मत तोड़ देना! मई तुमसे कहाँ प्रेम कर सकती हूँ! मैं तो एक बहुत ही गर्वहित प्राणी हूँ! (जमीन की ख़ाक होकर आसमान से दिल लगा बैठे) डोर तोड़ मत देना! मैं तुम्हारी नांव पर बैठी हूँ, तुम खेने वाले हो! मल्लाह चाहे तो बीच में डुबो दे या चाहे तो पार लगा दे! हे गिरधारी मैं तो एक अबला नार हूँ! तुम ही मेरे साहू (सेठ) हो! ये सेठ पैसा देता है, उसका ब्याज लेता है! भगवान ने मनुष्य को शरीर दिया, एक पूँजी दिया! उसको हमने गँवा दिया भोगो में! उसका ब्याज चौरासी लाख योनियाँ है, जो कभी चुकता नहीं है! हे गोपाल तू मेरा सेठ है, साहू है, मालिक है! ऐसा ब्याज मत जोड़ना! ये शरीर मैंने तुम्हे दिया! अब तू ही मेरा स्वामी है, ब्याज मत लगा देना! हमे मनुष्य शरीर दिया है, एक पूँजी दिया है! हम हैसे मूड इस शरीर को विषयों में, भोगो में, संसार की आसक्तियों में गँवा रहे है! गँवा भी दिया, अब ब्याज बाख गया है! हे गिरधर गोपाल कठिन ब्याज मत जोड़ो! तुम्हारी नाव पर बैठी हूँ, अन्नंत सागर है! लहरें न जाने कहाँ ले जाएंगी! फिर कभी ये शायद न मिले! ये तो आपने ही पकड़ रखा है! कृषण नाम की नांव पर चड़ना है! आपने पकड़ा नहीं होता तो भाव सागर के समुन्द्र में न जाने कहाँ और किस योनि में हम होते! पकड़ रखा है जरूर जो आज तक हम तुम्हारा नाम ले रहे है! हे दीनबंधु तुमने पकड़ लिया है हमारी इन भुजाओं को, छोड़ मत देना! इस शरीर की एक एक सांस, ये उन्ही का धन है! हर सांस को उनकी सेवा में लगाना चाहिए! लेकिन ये मन बड़ा ही चोर है, इस पूँजी को मैंने जैसे कोई शराबी शराब में सरे धन को नष्ट कर देता है! मैंने तुम्हारे द्वारा दी गई जितनी श्वास थी (24 घंटे में २१६०० श्वास) उन सबको मैंने विषयों में, मस्ती में खर्च कर दिया! मैंने उपना सुब धन अब गँवा दिया है! अब हे घनश्याम तुम ब्याज मत जोड़ना! जिस तरह तुमने मुझे पकड़ रखा है, कभी मत छोड़ना! मेरे हर श्वास पे केवल तुम्हारा ही नाम हो, ऐसी कृपा करना! राधे राधे!