Hare krishna i read in japa yoga book of shivanand that if you chant only 13crore names only RAM you will get darshan so can i chant Ram naam instead of hare krishna mahamantra ?
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श्रीशुकदेवजी कहते हैं- राजन् ! किम्पुरुषवर्षमें श्रीलक्ष्मणजीके बड़े भाई, 'आदिपुरुष', सीताहृदयाभिराम भगवान् श्रीरामके चरणोंकी सन्निधिके रसिक परम भागवत श्रीहनुमान्जी अन्य सेवकों सहित अविचल भक्तिभावसे उनकी उपासना करते हैं।
2)
राम राम महाबाहो वेदिमत्वंसनातनम्।
जानाम्यद्यैव काकुत्स्थ तव वीर्यगुणादिभिः ।।
त्वं "आदिपुरुषः" साक्षात् परमब्रह्म परोऽव्ययः ।
त्वं अनंतो महाविष्णुः वासुदेवः परात्परः।।
(श्रीमद् पद्मपुराण परशुराम उवाच )
हे राम! हे राम! हे अजानबाहू, मुझे अब आपके सनातन भगवान होने के वास्तविक स्वरूप का एहसास हुआ, हे काकुत्स्थ राम, मुझे अब आपके महान गुण और आपकी सर्वोच्च वीरता का एहसास हो गया है! आप ही "आदिपुरुष" एवं संपूर्ण ब्रह्मांड के अविनाशी तत्व हैं, आप अनंत है एवं महाविष्णु और वासुदेव से भी परात्पर हैं।
3)
न त्वां वयं जडधियो नु विदाम भूमन् "कूटस्थमादिपुरुषं" जगतामधीशम्।
यत्सत्त्वत: सुरगणा रजसः प्रजेशा मन्योश्च भूतपतय: स भवान् गुणेश: ।।
(श्रीमद्भागवतम् महापुराण ~ ९.१०.१४)
भगवान श्रीराम से समुद्र देव ने कहा, 'हे प्रभु! हम मंदबुद्धि हैं इसीलिए आप के वास्तविक स्वरूप को नहीं जानते, और जाने भी कैसे? लेकिन अब हम इतना समझते हैं कि आप ही "आदिपुरुष" समस्त ब्रह्मांड के एकमात्र अपरिवर्तनीय मूल कारक हैं। देवता सतोगुण से, प्रजापति रजोगुण से और शिव तमोगुण से मोहित हैं लेकिन आप तो इन सभी गुणों के स्वामी हैं।
भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं, 'श्रीराम समस्त पुण्योंके उत्कृष्ट फलरूप, स्मरण करनेमात्रसे ही सम्पूर्ण पापों का नाश करनेवाले "आदिपुरुष", परम पुरुषों में भी महापुरुष, प्राणियों के पुण्य का उदय करने वाले, दया के सागर, पुराणों में वर्णित पुरुषोत्तम हैं। इनके मुखपर सदा मुसकान की छटा छायी रहती है, थोड़ा कम बोलने वाले लेकिन स्वयं बातों की शुरुआत करते हैं" ।
5)
आद्या सा प्रकृति सीता आद्यस्तु पुरुषोत्तम ।
गुणातीतो भवान्नित्यो नित्यभुता सनातनी ।।
(इती महासुंदरी तंत्र शास्त्रे)
माता जानकी ही आदिप्रकृति और श्रीराम ही "आदिपुरुषोत्तम" हैं, प्राकृतिक गुणों से परे एवं नित्य सनातन तत्व हैं।
6)
आदिकाव्यमिदं राम त्वयि सर्वं प्रतिष्ठितम् ।
नह्यन्योऽर्हति काव्यानां यशोभाग् राघवादृते ॥
(श्रीमद् वाल्मीकि रामायण ~ ७.९८.१८)
भगवान श्रीराम स्वयं " आदिपुरुष" हैं इसीलिए सृष्टि का सबसे पहला "आदिकाव्य" भी उन्हीं को समर्पित है। स्वयं ब्रह्मा जी श्रीराम से कहते हैं कि यह "आदिकाव्य" पूर्णता आप की लीला पर ही आधारित है, आप ही सर्वत्र महिमामंडित किए गए हैं सबसे पहले काव्य में । हे राघव ! आपके अतिरिक्त और कोई इस कीर्ति, स्तुति और इस काव्य का पात्र नहीं हो सकता!
आचार्य चक्रवर्ती श्रीमदजगद्गुरु रामानंदाचार्य की जय 🚩
जय श्री सीताराम 🚩
Who is Adi Purush?
Ram Rasik's answer: There is no doubt that Lord Rama is the Adipurusha as mentioned in scripture.
1)
> किम्पुरुषे वर्षे "भगवन्तमादिपुरुषं" लक्ष्मण…
Manish kumar > Radha SakhiJanuary 10, 2023 at 12:45pm
Definitively brother, you can chant the name Shri Ram, Lord Shri Krishna himself chants the name of Shri Ram.
(श्री कृष्ण उवाच अर्जुन के प्रति)
1) राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् ।
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम ॥
(श्री आदि-पुराण)
मैं! जगद्गुरु श्रीराम के नाम का निरंतर प्रेम पूर्वक स्मरण करता रहता हूँ, क्षणमात्र भी नहीं भूलता हूँ । अर्जुन मैं सत्य सत्य कहता हूँ ।
2) The same mantra that Shri Ram gave to Hanuman, Shri Krishna giving it to Yudhishthira and saying,
श्री कृष्ण उवाच युधिष्ठिर के प्रति~
रामनाम्नः परं नास्ति मोक्ष लक्ष्मी प्रदायकम्।
तेजोरुपं यद् अवयक्तं रामनाम अभिधियते।।
(श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण~८/७/१६)
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं किस शास्त्र में ऐसा कोई भी मंत्र वर्णित नहीं है जो श्रीराम के नाम के बराबर हो जो ऐश्वर्य (धन) और मुक्ति दोनों देने में सक्षम हो। श्रीराम का नाम स्वयं ज्योतिर्मय नाम कहा गया है, जिसको मैं भी व्यक्त नहीं कर सकता।
वैसे तो श्रीराघाव के अनेक मन्त्र हैं, किन्तु युधिष्ठिर उनमें से एक उत्तम मन्त्र मैं तुमको बतलाता हूँ । पूर्वमें श्रीराम शब्द, मध्यमें जय शब्द और अन्तमें दो जय शब्दोंसे मिला हुआ (श्रीराम जय राम जय जय राम) राममन्त्र। बुद्धिमान जनों को सिर्फ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए।
5) रामस्याति प्रिय नाम रामेत्येव सनातनम्।
दिवारात्रौ गृणन्नेषो भाति वृन्दावने स्थितः ।।
(श्री शुक संहिता)
श्री राम नाम भगवान राम को सबसे प्रिय नाम है और यह नाम भगवान राघव का शाश्वत नाम है। श्रीराम के इस शाश्वत नाम का जप करने से भगवान कृष्ण वृंदावन में सुशोभित होते हैं।
I think you got your answer, Jay Shree SitaRam 🚩
Manish kumar > Radha SakhiJanuary 10, 2023 at 12:45pm
I see repeatedly questions like - Can i write Rama Ram instead of chant? Can I chant yugal mantra instead of mahamantra?; Can I chant Ram instead of Mahamantra? I am unable to understand the resistance to chanting mahamantra. Is it too difficult? Is it too long or what is the issue/ resistance, that everything else is more attractive or do able than chanting mahamantra?
Unless you chant mahamantra you will not know the power of mahamantra. The choice is yours.
Haribol,
Your servant,
Radha Rasamayi DD
Manish kumar > Radha Rasamayi DDAugust 6, 2022 at 7:03pm
Thank you mataji for your guidance,I offer my respectful obeisances
Lord Rama is not like demigods. To please demigods you have some set of mantra repetations and you do that much and you can get darshan of a demigod.
Like Demons pleased Lord Shiva by chanting 5 lakh times Panchakshari mantra and some set of repetations for pleasing Brahma or Indra or chandra dev. These demons wants something in return ( like boons) for their time spent. They had no interest Gods really.
Do you think Hiranyaksha who hated Gods did Brahma naam jaap loved Brahama dev so he called upon Brahma ?? Only he wanted some boons to get from Brahma.
Similarly Ravana did japa to please Lord Shiva he had no prem for Shiva
Banasura did japa to please Shiva to get some benefits. For the Demigods some japa is enough ( sime limited number of times) if you call they will appear and ask what do you want? Why did you call me?
And these demons asked for boons from them.
Are you having some ulterior motive to gain from LORD SHRI RAM?
You need some boons from HIM?
LOrd Rama is not demigod. He is not bound by these type of ritualistic japa this many fixed number of time etc.
To please Lord Rama Or Lord KRishna it is only with Love you can do .. Or Love With Seva. You cannot gain their attention with japa of this many times or that many times.
You know how Shabari got darshan? How Lord Rama was pleased with her love and affection shown? She did japa for Lord Rama but she didn't expect Him to come she did selfless service. When He came She was not even prepared she just picked some fruits and didn't know how they tasted also so she was biting them and giving them to Lord.
Even When Krishna came to visit Vidhura's wife, suddenly Vidhura's wife gave Lord only peels of Banana as she was not expecting Lord to come to her humble house also.
This Bhagwan is not under the control of anyone. You cannot bind Lord Sri Krishna or Lord Rama with some ritualistic practices. You need Seva bhava or prem bhava for holding HIS attention.
even after doing 13 crores of japa also if you don't develop any prem for Lord.. you will not get His darshan.
Do jaap of Mahamantra it covers all Ram and Krishna all.
Because 1000 names of Vishnu= 3 times saying Lord Ram's name.
3 times saying Lord Rama's name= 1 time saying Krishna.
So that is how Potent is Saying Lord Krishna's name.
Naam jaap should be done with no ulterior motive. You will surely get the benefit of chanting but you will not get Sneha and prema of Lord.
DHRUV maharaj chanted Om Namo Bhagwavate Vasudevaya 12 lakh times. Lord Narayana appeared and asked what do you want? The motive of calling Lord was not with prema. Dhruva wanted to have
highest position more greater position than his grand father. So he got that position Dhruva loka which is above Brahma loka.
See, basically if you having some ulterior motive you do naam jaap for secure that. But to do naam jaap with pure Love for Godhead has basically no motive. so there is no specific times that mantra should be recited as there is no ulterior motive behind doing this naam jaap.
Please don't feel bad, you have given an explanation of Fools. By manipulating the scriptures to extract a new meaning, you are guilty of committing the crime of God's name. Different scriptures give different description of the name of God but nowhere is there any distinction between the names of Shri Ram and Shri Krishna. Lord Shri Krishna himself chants the name of Shri Ram.
You were talking about only Vishnu Sahasranamam there I can give you details of Thousands of Name..
1) विष्णोरेकैक नामापि सर्ववेदाधिकम मतम्।
तादृङ्नाम सहस्रेण रामनाम समं मतम् ॥
श्री रामेति परं नाम रामस्यैव सनातनम् ।
(श्रीमद् विष्णु पुराणे वेदव्यास वचने)
श्री विष्णु पुराण में उल्लिखित श्री भगवान वेदव्यास का कथन है कि भगवान विष्णु के एक-एक नाम सर्ववेदाध्ययन से बढ़कर है और ऐसे सहस्रों (हज़ारों) विष्णु नाम से बढ़कर एक बार का श्रीरामनाम उच्चारण है। ऐसी सज्जनों की सम्मति है। श्री राघवजी का सर्वोत्तम और सनातन नाम तो श्रीराम ही है।
2) रामेति द्वयक्षरो मन्त्री मन्त्रकोटिशताधिकः ॥ सर्वासां प्रकृतीनां च कथितः पापनाशकः । चातुर्मास्येऽथ सम्प्राप्ते सोऽप्यनन्तफलप्रदः ॥
(इति स्कन्द पुराणे)
'राम' यह दो अक्षरका मन्त्र सौ करोड़ मन्त्रोंसे बढ़कर है। यह सारे प्रजावर्गके पापका नाश करनेवाला कहा गया है तथा चातुर्मास्यमें रामनामका जप अनन्त फल प्रदान करता है ।
Hold Your Seats;~
(श्री कृष्ण उवाच अर्जुन के प्रति)
1) राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् ।
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम ॥
(श्री आदि-पुराण)
मैं! जगद्गुरु श्रीराम के नाम का निरंतर प्रेम पूर्वक स्मरण करता रहता हूँ, क्षणमात्र भी नहीं भूलता हूँ । अर्जुन मैं सत्य सत्य कहता हूँ ।
2) The same mantra that Shri Ram gave to Hanuman, Shri Krishna giving it to Yudhishthira and saying,
श्री कृष्ण उवाच युधिष्ठिर के प्रति~
रामनाम्नः परं नास्ति मोक्ष लक्ष्मी प्रदायकम्।
तेजोरुपं यद् अवयक्तं रामनाम अभिधियते।।
(श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण~८/७/१६)
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं किस शास्त्र में ऐसा कोई भी मंत्र वर्णित नहीं है जो श्रीराम के नाम के बराबर हो जो ऐश्वर्य (धन) और मुक्ति दोनों देने में सक्षम हो। श्रीराम का नाम स्वयं ज्योतिर्मय नाम कहा गया है, जिसको मैं भी व्यक्त नहीं कर सकता।
वैसे तो श्रीराघाव के अनेक मन्त्र हैं, किन्तु युधिष्ठिर उनमें से एक उत्तम मन्त्र मैं तुमको बतलाता हूँ । पूर्वमें श्रीराम शब्द, मध्यमें जय शब्द और अन्तमें दो जय शब्दोंसे मिला हुआ (श्रीराम जय राम जय जय राम) राममन्त्र। बुद्धिमान जनों को सिर्फ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए।
5) रामस्याति प्रिय नाम रामेत्येव सनातनम्।
दिवारात्रौ गृणन्नेषो भाति वृन्दावने स्थितः ।।
(श्री शुक संहिता)
श्री राम नाम भगवान राम को सबसे प्रिय नाम है और यह नाम भगवान राघव का शाश्वत नाम है। श्रीराम के इस शाश्वत नाम का जप करने से भगवान कृष्ण वृंदावन में सुशोभित होते हैं।
Please don't feel bad, you have given an explanation of Fools.
Mataji has given a brilliant explanation which fools cannot understand. I do feel bad for such fools.
By manipulating the scriptures to extract a new meaning, you are guilty of committing the crime of God's name.
But no such new meaning has been extracted, no such crime has been committed. Offence has been committed by someone else aganst Mataji and such offenders will definitely get its reaction
Replies
Absolutely you can chant the name of Ram because Lord Shri Ram is the Adi Purush as mentioned in Bhagwat and other scriptures.
There is no doubt that Lord Rama is the Adipurusha as mentioned in scripture.
1)
(श्रीमद्भागवतम् महापुराण - ५.१९.१ )
श्रीशुकदेवजी कहते हैं- राजन् ! किम्पुरुषवर्षमें श्रीलक्ष्मणजीके बड़े भाई, 'आदिपुरुष', सीताहृदयाभिराम भगवान् श्रीरामके चरणोंकी सन्निधिके रसिक परम भागवत श्रीहनुमान्जी अन्य सेवकों सहित अविचल भक्तिभावसे उनकी उपासना करते हैं।
2)
(श्रीमद् पद्मपुराण परशुराम उवाच )
हे राम! हे राम! हे अजानबाहू, मुझे अब आपके सनातन भगवान होने के वास्तविक स्वरूप का एहसास हुआ, हे काकुत्स्थ राम, मुझे अब आपके महान गुण और आपकी सर्वोच्च वीरता का एहसास हो गया है! आप ही "आदिपुरुष" एवं संपूर्ण ब्रह्मांड के अविनाशी तत्व हैं, आप अनंत है एवं महाविष्णु और वासुदेव से भी परात्पर हैं।
3)
(श्रीमद्भागवतम् महापुराण ~ ९.१०.१४)
भगवान श्रीराम से समुद्र देव ने कहा, 'हे प्रभु! हम मंदबुद्धि हैं इसीलिए आप के वास्तविक स्वरूप को नहीं जानते, और जाने भी कैसे? लेकिन अब हम इतना समझते हैं कि आप ही "आदिपुरुष" समस्त ब्रह्मांड के एकमात्र अपरिवर्तनीय मूल कारक हैं। देवता सतोगुण से, प्रजापति रजोगुण से और शिव तमोगुण से मोहित हैं लेकिन आप तो इन सभी गुणों के स्वामी हैं।
4)
(श्रीमद् पद्मपुराण ६.२५४.४१/४२)
भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं, 'श्रीराम समस्त पुण्योंके उत्कृष्ट फलरूप, स्मरण करनेमात्रसे ही सम्पूर्ण पापों का नाश करनेवाले "आदिपुरुष", परम पुरुषों में भी महापुरुष, प्राणियों के पुण्य का उदय करने वाले, दया के सागर, पुराणों में वर्णित पुरुषोत्तम हैं। इनके मुखपर सदा मुसकान की छटा छायी रहती है, थोड़ा कम बोलने वाले लेकिन स्वयं बातों की शुरुआत करते हैं" ।
5)
(इती महासुंदरी तंत्र शास्त्रे)
माता जानकी ही आदिप्रकृति और श्रीराम ही "आदिपुरुषोत्तम" हैं, प्राकृतिक गुणों से परे एवं नित्य सनातन तत्व हैं।
6)
(श्रीमद् वाल्मीकि रामायण ~ ७.९८.१८)
भगवान श्रीराम स्वयं " आदिपुरुष" हैं इसीलिए सृष्टि का सबसे पहला "आदिकाव्य" भी उन्हीं को समर्पित है। स्वयं ब्रह्मा जी श्रीराम से कहते हैं कि यह "आदिकाव्य" पूर्णता आप की लीला पर ही आधारित है, आप ही सर्वत्र महिमामंडित किए गए हैं सबसे पहले काव्य में । हे राघव ! आपके अतिरिक्त और कोई इस कीर्ति, स्तुति और इस काव्य का पात्र नहीं हो सकता!
आचार्य चक्रवर्ती श्रीमदजगद्गुरु रामानंदाचार्य की जय 🚩
जय श्री सीताराम 🚩
Thank you hare Krishna
Definitively brother, you can chant the name Shri Ram, Lord Shri Krishna himself chants the name of Shri Ram.
(श्री कृष्ण उवाच अर्जुन के प्रति)
1) राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् ।
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम ॥
(श्री आदि-पुराण)
मैं! जगद्गुरु श्रीराम के नाम का निरंतर प्रेम पूर्वक स्मरण करता रहता हूँ, क्षणमात्र भी नहीं भूलता हूँ । अर्जुन मैं सत्य सत्य कहता हूँ ।
2) The same mantra that Shri Ram gave to Hanuman, Shri Krishna giving it to Yudhishthira and saying,
श्री कृष्ण उवाच युधिष्ठिर के प्रति~
रामनाम्नः परं नास्ति मोक्ष लक्ष्मी प्रदायकम्।
तेजोरुपं यद् अवयक्तं रामनाम अभिधियते।।
(श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण~८/७/१६)
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं किस शास्त्र में ऐसा कोई भी मंत्र वर्णित नहीं है जो श्रीराम के नाम के बराबर हो जो ऐश्वर्य (धन) और मुक्ति दोनों देने में सक्षम हो। श्रीराम का नाम स्वयं ज्योतिर्मय नाम कहा गया है, जिसको मैं भी व्यक्त नहीं कर सकता।
4) He gave a very famous mantra to Yudhishthir
श्रीकृष्ण उवाच~युधिष्ठिर के प्रति
मंत्रा नानाविधाः सन्ति शतशो राघवस्य च।
तेभ्यस्त्वेकं वदाम्यद्य तव मंत्रं युधिष्ठिर।।
श्रीशब्धमाद्य जयशब्दमध्यंजयद्वेयेनापि पुनःप्रयुक्तम्।
अनेनैव च मन्त्रेण जपः कार्यः सुमेधसा।
( श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण, 9~7.44,45a,46a)
वैसे तो श्रीराघाव के अनेक मन्त्र हैं, किन्तु युधिष्ठिर उनमें से एक उत्तम मन्त्र मैं तुमको बतलाता हूँ । पूर्वमें श्रीराम शब्द, मध्यमें जय शब्द और अन्तमें दो जय शब्दोंसे मिला हुआ (श्रीराम जय राम जय जय राम) राममन्त्र। बुद्धिमान जनों को सिर्फ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए।
5) रामस्याति प्रिय नाम रामेत्येव सनातनम्।
दिवारात्रौ गृणन्नेषो भाति वृन्दावने स्थितः ।।
(श्री शुक संहिता)
श्री राम नाम भगवान राम को सबसे प्रिय नाम है और यह नाम भगवान राघव का शाश्वत नाम है। श्रीराम के इस शाश्वत नाम का जप करने से भगवान कृष्ण वृंदावन में सुशोभित होते हैं।
I think you got your answer, Jay Shree SitaRam 🚩
Thank you hare Krishna
Hare KRsna,
PAMHO.
I see repeatedly questions like - Can i write Rama Ram instead of chant? Can I chant yugal mantra instead of mahamantra?; Can I chant Ram instead of Mahamantra? I am unable to understand the resistance to chanting mahamantra. Is it too difficult? Is it too long or what is the issue/ resistance, that everything else is more attractive or do able than chanting mahamantra?
Unless you chant mahamantra you will not know the power of mahamantra. The choice is yours.
Haribol,
Your servant,
Radha Rasamayi DD
Thank you mataji for your guidance,I offer my respectful obeisances
Hare Krishna,
Lord Rama is not like demigods. To please demigods you have some set of mantra repetations and you do that much and you can get darshan of a demigod.
Like Demons pleased Lord Shiva by chanting 5 lakh times Panchakshari mantra and some set of repetations for pleasing Brahma or Indra or chandra dev. These demons wants something in return ( like boons) for their time spent. They had no interest Gods really.
Do you think Hiranyaksha who hated Gods did Brahma naam jaap loved Brahama dev so he called upon Brahma ?? Only he wanted some boons to get from Brahma.
Similarly Ravana did japa to please Lord Shiva he had no prem for Shiva
Banasura did japa to please Shiva to get some benefits. For the Demigods some japa is enough ( sime limited number of times) if you call they will appear and ask what do you want? Why did you call me?
And these demons asked for boons from them.
Are you having some ulterior motive to gain from LORD SHRI RAM?
You need some boons from HIM?
LOrd Rama is not demigod. He is not bound by these type of ritualistic japa this many fixed number of time etc.
To please Lord Rama Or Lord KRishna it is only with Love you can do .. Or Love With Seva. You cannot gain their attention with japa of this many times or that many times.
You know how Shabari got darshan? How Lord Rama was pleased with her love and affection shown? She did japa for Lord Rama but she didn't expect Him to come she did selfless service. When He came She was not even prepared she just picked some fruits and didn't know how they tasted also so she was biting them and giving them to Lord.
Even When Krishna came to visit Vidhura's wife, suddenly Vidhura's wife gave Lord only peels of Banana as she was not expecting Lord to come to her humble house also.
This Bhagwan is not under the control of anyone. You cannot bind Lord Sri Krishna or Lord Rama with some ritualistic practices. You need Seva bhava or prem bhava for holding HIS attention.
even after doing 13 crores of japa also if you don't develop any prem for Lord.. you will not get His darshan.
Do jaap of Mahamantra it covers all Ram and Krishna all.
Because 1000 names of Vishnu= 3 times saying Lord Ram's name.
3 times saying Lord Rama's name= 1 time saying Krishna.
So that is how Potent is Saying Lord Krishna's name.
Naam jaap should be done with no ulterior motive. You will surely get the benefit of chanting but you will not get Sneha and prema of Lord.
DHRUV maharaj chanted Om Namo Bhagwavate Vasudevaya 12 lakh times. Lord Narayana appeared and asked what do you want? The motive of calling Lord was not with prema. Dhruva wanted to have
highest position more greater position than his grand father. So he got that position Dhruva loka which is above Brahma loka.
See, basically if you having some ulterior motive you do naam jaap for secure that. But to do naam jaap with pure Love for Godhead has basically no motive. so there is no specific times that mantra should be recited as there is no ulterior motive behind doing this naam jaap.
Hare Krishna.
Please don't feel bad, you have given an explanation of Fools. By manipulating the scriptures to extract a new meaning, you are guilty of committing the crime of God's name. Different scriptures give different description of the name of God but nowhere is there any distinction between the names of Shri Ram and Shri Krishna. Lord Shri Krishna himself chants the name of Shri Ram.
You were talking about only Vishnu Sahasranamam there I can give you details of Thousands of Name..
1) विष्णोरेकैक नामापि सर्ववेदाधिकम मतम्।
तादृङ्नाम सहस्रेण रामनाम समं मतम् ॥
श्री रामेति परं नाम रामस्यैव सनातनम् ।
(श्रीमद् विष्णु पुराणे वेदव्यास वचने)
श्री विष्णु पुराण में उल्लिखित श्री भगवान वेदव्यास का कथन है कि भगवान विष्णु के एक-एक नाम सर्ववेदाध्ययन से बढ़कर है और ऐसे सहस्रों (हज़ारों) विष्णु नाम से बढ़कर एक बार का श्रीरामनाम उच्चारण है। ऐसी सज्जनों की सम्मति है। श्री राघवजी का सर्वोत्तम और सनातन नाम तो श्रीराम ही है।
2) रामेति द्वयक्षरो मन्त्री मन्त्रकोटिशताधिकः ॥
सर्वासां प्रकृतीनां च कथितः पापनाशकः ।
चातुर्मास्येऽथ सम्प्राप्ते सोऽप्यनन्तफलप्रदः ॥
(इति स्कन्द पुराणे)
'राम' यह दो अक्षरका मन्त्र सौ करोड़ मन्त्रोंसे बढ़कर है। यह सारे प्रजावर्गके पापका नाश करनेवाला कहा गया है तथा चातुर्मास्यमें रामनामका जप अनन्त फल प्रदान करता है ।
Hold Your Seats;~
(श्री कृष्ण उवाच अर्जुन के प्रति)
1) राम नाम सदा प्रेम्णा संस्मरामि जगद्गुरूम् ।
क्षणं न विस्मृतिं याति सत्यं सत्यं वचो मम ॥
(श्री आदि-पुराण)
मैं! जगद्गुरु श्रीराम के नाम का निरंतर प्रेम पूर्वक स्मरण करता रहता हूँ, क्षणमात्र भी नहीं भूलता हूँ । अर्जुन मैं सत्य सत्य कहता हूँ ।
2) The same mantra that Shri Ram gave to Hanuman, Shri Krishna giving it to Yudhishthira and saying,
श्री कृष्ण उवाच युधिष्ठिर के प्रति~
रामनाम्नः परं नास्ति मोक्ष लक्ष्मी प्रदायकम्।
तेजोरुपं यद् अवयक्तं रामनाम अभिधियते।।
(श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण~८/७/१६)
श्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं किस शास्त्र में ऐसा कोई भी मंत्र वर्णित नहीं है जो श्रीराम के नाम के बराबर हो जो ऐश्वर्य (धन) और मुक्ति दोनों देने में सक्षम हो। श्रीराम का नाम स्वयं ज्योतिर्मय नाम कहा गया है, जिसको मैं भी व्यक्त नहीं कर सकता।
4) He gave a very famous mantra to Yudhishthir
श्रीकृष्ण उवाच~युधिष्ठिर के प्रति
मंत्रा नानाविधाः सन्ति शतशो राघवस्य च।
तेभ्यस्त्वेकं वदाम्यद्य तव मंत्रं युधिष्ठिर।।
श्रीशब्धमाद्य जयशब्दमध्यंजयद्वेयेनापि पुनःप्रयुक्तम्।
अनेनैव च मन्त्रेण जपः कार्यः सुमेधसा।
( श्रीमद् वाल्मीकियानंद रामायण, 9~7.44,45a,46a)
वैसे तो श्रीराघाव के अनेक मन्त्र हैं, किन्तु युधिष्ठिर उनमें से एक उत्तम मन्त्र मैं तुमको बतलाता हूँ । पूर्वमें श्रीराम शब्द, मध्यमें जय शब्द और अन्तमें दो जय शब्दोंसे मिला हुआ (श्रीराम जय राम जय जय राम) राममन्त्र। बुद्धिमान जनों को सिर्फ इसी मंत्र का जाप करना चाहिए।
5) रामस्याति प्रिय नाम रामेत्येव सनातनम्।
दिवारात्रौ गृणन्नेषो भाति वृन्दावने स्थितः ।।
(श्री शुक संहिता)
श्री राम नाम भगवान राम को सबसे प्रिय नाम है और यह नाम भगवान राघव का शाश्वत नाम है। श्रीराम के इस शाश्वत नाम का जप करने से भगवान कृष्ण वृंदावन में सुशोभित होते हैं।
I think you got your answer, Jay Shree SitaRam 🚩
Hare Krsna
Please don't feel bad, you have given an explanation of Fools.
Mataji has given a brilliant explanation which fools cannot understand. I do feel bad for such fools.
By manipulating the scriptures to extract a new meaning, you are guilty of committing the crime of God's name.
But no such new meaning has been extracted, no such crime has been committed. Offence has been committed by someone else aganst Mataji and such offenders will definitely get its reaction
Hare Krsna
Thank you mataji for explaining me so nicely, I offer my respectful obeisances