भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय नौ परम गुह्य ज्ञान
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमुर्तिना ।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः ।। 4 ।।
मया– मेरे द्वारा;ततम्– व्याप्त है;इदम्– यह;सर्वम्– समस्त;जगत्– दृश्य जगत;अव्यक्त-मूर्तिना– अव्यक्त रूप द्वारा;मत्-स्थानि– मुझमें;सर्व-भूतानि– समस्त जीव;न– नहीं;च– भी;अहम्– मैं;तेषु– उनमें;अवस्थितः– स्थित।
भावार्थ : यह सम्पूर्ण जगत् मेरे अव्यक्त रूप द्वारा व्याप्त है। समस्त जीव मुझमें हैं, किन्तु मैं उनमें नहीं हूँ।
तात्पर्य : भगवान् की अनुभूति स्थूल