त्रुटि से चुटकी तक
(भागवतम तृतीय स्कंध)
अध्याय ग्यारह (परमाणु से काल की गणना)
विज्ञान में हम सब ने पढ़ा है, एक परमाणु होता है।
सृष्टी का ये सूक्ष्म कण है, जो अविभाज्य होता है।।
सृष्टी का जब प्रलय होता, तब भी परमाणु रहता है।
एकत्व रूप में रहकर तब ये कैवल्यं कहलाता है।।
इसके संयोजन से ही, सृष्टी का रूप निखरता है।
काल भी इसके संयोजन, अवधि से ही नपता है।
आओ मैं तुमको बतलाऊँ, ये कैसे कैसे होता है ।
परमाणु संयोग से कैसे, काल का मापन होता है।।
दो परमाणु जब मिलते, तो एक अणु बन जाता