shalini garg (4)

Time caculation on Bhagwatam Kaal ki gadna

 

https://youtu.be/0CdnaTLd_Uo

 

 त्रुटि से चुटकी तक

(भागवतम तृतीय स्कंध)

अध्याय ग्यारह (परमाणु से काल की गणना)

 

विज्ञान में हम सब ने पढ़ा है, एक परमाणु होता है।

सृष्टी का ये सूक्ष्म कण है, जो अविभाज्य होता है।।

सृष्टी का जब प्रलय होता, तब भी परमाणु रहता है।

एकत्व रूप में रहकर तब ये कैवल्यं कहलाता है।।

इसके संयोजन से ही, सृष्टी का रूप निखरता है।

काल भी इसके संयोजन, अवधि से ही नपता है।

आओ मैं तुमको बतलाऊँ, ये कैसे कैसे होता है ।

परमाणु संयोग से कैसे, काल का मापन होता है।।

दो परमाणु जब मिलते, तो एक अणु बन जाता

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   https://youtu.be/bJhisBUFpdA

 

भ्रमर गीत

 मालिनी छंद १५ वर्ण १११ १११ २२,२ १२२ १२२

गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,

सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।

लमपट छलिया वो, श्याम तेरा सखा है,

चल हट उड़ जा क्यों, पाँव छूने खड़ा है।

नितनव कमली पे, प्रेम सारा लुटाता,

चुनकर मधु मीठा, रंग प्यारा जमाता।

मत कर विनती रे, जा हमें ना सता रे,

कुमकुम कपटी का, तू हमें ना दिखा रे।।1।।

गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,

सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।

सुन मधुकर श्यामा, श्याम के रंगवाला,

अधर रस चखाता, छोड जाता गवाल

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GOPI GEET HINDI ME

https://youtu.be/r9biR7lYBoU

 

गोपी गीत (हिंदी में)

रचयिता शालिनी गर्ग

इंदिरा छंद 11121221212

ब्रज धरा हुआ, जन्म आपका,

ब्रज निवास बैकुंठ धाम सा।

मृदुल श्री प्रिया, आपकी रमा,

प्रभु यहीं करें, संग आपका ।।1.1।।

छिप गये कहाँ, साँवरे सखे,

चरण धूल में, प्राण हैं पड़े।

भटकती फिरें, नाथ दासियाँ।

पकड कान को, माँग माफियाँ।।1.2।।

हृदय में बसे, प्रेम से प्रिये,

कमल नैन से,घायल किये।

प्रभु कहो जरा,प्रीत क्या नहीं,

वध किया बिना,अस्त्र के यहीं।।2।।

असुर मारते, मारते रहे,

ब्रजधरा सदा, तारते रहे।  

रक्षक गोप के, आप ही रहे,

हँस दिय

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गीता की महिमा


वैदिक ज्ञान का सार है गीता,
जीवन जीने का है ये तरीका ।।
भगवान के मुख से है कही हुई,
यह औषधि स्वयं कृष्ण की दी हुई।।
पहले भी कही थी यह सूर्य देव को,
वापिस दोहरा रहे हैं कृष्ण अर्जुन को।।
पहले तो अर्जुन ने कृष्ण को गुरु स्वीकारा,
जब ज्ञान हुआ तो उन्हें भगवान पुकारा।।
पर पूछता रहा प्रश्न अंत तक वो डटकर,
संशय का बादल जब तक उड न गया छट कर।।
अर्जुन का ज्ञान पाना तो एक बहाना था,
असल में तो उन्हे हमें ही सब बताना था।।
अगर जरा सी श्रद्धा है तो सुनना जरूर,
गीता का ये वाणी अमृत पीना जरूर ।।
गीता का मकसद हम

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