गोपीगीत (1)

GOPI GEET HINDI ME

https://youtu.be/r9biR7lYBoU

 

गोपी गीत (हिंदी में)

रचयिता शालिनी गर्ग

इंदिरा छंद 11121221212

ब्रज धरा हुआ, जन्म आपका,

ब्रज निवास बैकुंठ धाम सा।

मृदुल श्री प्रिया, आपकी रमा,

प्रभु यहीं करें, संग आपका ।।1.1।।

छिप गये कहाँ, साँवरे सखे,

चरण धूल में, प्राण हैं पड़े।

भटकती फिरें, नाथ दासियाँ।

पकड कान को, माँग माफियाँ।।1.2।।

हृदय में बसे, प्रेम से प्रिये,

कमल नैन से,घायल किये।

प्रभु कहो जरा,प्रीत क्या नहीं,

वध किया बिना,अस्त्र के यहीं।।2।।

असुर मारते, मारते रहे,

ब्रजधरा सदा, तारते रहे।  

रक्षक गोप के, आप ही रहे,

हँस दिय

Read more…