geet (1)

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भ्रमर गीत

 मालिनी छंद १५ वर्ण १११ १११ २२,२ १२२ १२२

गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,

सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।

लमपट छलिया वो, श्याम तेरा सखा है,

चल हट उड़ जा क्यों, पाँव छूने खड़ा है।

नितनव कमली पे, प्रेम सारा लुटाता,

चुनकर मधु मीठा, रंग प्यारा जमाता।

मत कर विनती रे, जा हमें ना सता रे,

कुमकुम कपटी का, तू हमें ना दिखा रे।।1।।

गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,

सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।

सुन मधुकर श्यामा, श्याम के रंगवाला,

अधर रस चखाता, छोड जाता गवाल

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