भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय नौ परम गुह्य ज्ञान
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रताः ।
नमस्यन्तश्च मां भक्तया नित्ययुक्ता उपासते ।। 14 ।।
सततम्– निरन्तर;कीर्तयन्तः– कीर्तन करते हुए;माम्– मेरे विषयमें;यतन्तः– प्रयास करते हुए;च– भी;दृढ़-व्रताः– संकल्पपूर्वक;नमस्यन्तः–नमस्कार करते हुए;च– तथा;माम्– मुझको;भक्त्या– भक्ति में;नित्य-युक्ताः–सदैव रत रहकर;उपासते– पूजा करते हैं।
भावार्थ : ये महात्मा मेरी महिमा का नित्य कीर्तन करते हुए दृढसंकल्प के साथप्रयास करते हुए, मुझे नमस्कार करते हुए,