ध्रुव महाराज द्वारा स्तुति (4.9)
6-8 ध्रुव महाराज ने कहा: हे भगवन, आप सर्वशक्तिमान हैं। मेरे अन्तःकरण में प्रविष्ट होकर आपने मेरी सभी सोई हुई इन्द्रियों को – हाथों, पाँवों, स्पर्शेन्द्रिय, प्राण तथा मेरी वाणी को – जागृत कर दिया है। मैं आपको सादर नमस्कार करता हूँ। हे भगवन आप सर्वश्रेष्ठ हैं, किन्तु आप आध्यात्मिक तथा भौतिक जगतों में अपनी विभिन्न शक्तियों के कारण भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रकट होते रहते हैं। आप अपनी बहिरंगा शक्ति से भौतिक जगत की समस्त शक्ति को उत्पन्न करके बाद में भौतिक जगत में परमात्म
