(श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंन्द, श्री अद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौर भक्तवन्द)
हरे कृृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे,हरे राम, हरे राम राम राम हरे हरे
श्री चैतन्यगाथा महामहिम भगवान महाप्रभु को मैं शीश नवाता हूँ ।श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूँ।
1. बंगाल प्रांत नव द्वीप नगर ,
श्री धाम मायापुर कहलाये।
मास फाल्गुन तिथि पूर्णिमा,
चन्द्रग्रहण में जन्म पाये।
साक्षात् अवतार कृष्ण के,
भगवद् भक्त हैं बन आये।
पिता श्री श्रीजगन्नाथ जी,
माँ श्री शची है हरषाये।
प्रभु पद पावन रज मस्तक पर चन्दन समझ लगाता हूँ।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूँ।
2. हुआ अन्न प्रासन जब प्रभु का,
सबने है अनुराग दिया।
हुई परीक्षा प्रवृतियों की,
प्रभु को हैं दो भाग दिया।
प्रभु ने भागवत ग्रहण कर लिया,
सिक्कों को है त्याग दिया।
ज्ञानी, गुणी की गाथाओं का वर्णन सुनो सुनाता हूँ।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूँ।
3. बाल रूप, बाला पन में एकनाग सामने आया है।
नाग से प्रभु है, लगे खेलने, महाप्रभु की माया हैं
भोग ब्राह्मण लगा रहा था प्रभु ने भोग वो खाया है।
जूडा भोग किय प्रभु ने तब वो ब्राह्मण अकुलाया है।
श्री कृष्ण के रूप में दर्शन दिया प्रभु ने दर्शाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
4. सोलह वर्ष में शिक्षक बनकर,वो व्याकण पढ़ाते थे।
श्री कृष्ण के नामों की वो,कर व्याख्या बतलाते थे।
श्री शील गोस्वामी जी है, उनका साथ निभाते थे
हरि नामामृत पुस्तक लिखकर, वो मन में हरषाते थे।
महाप्रभु का सुमिरन करके शरणागत हो जाता हूं,
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
5. उच्च विचार महाप्रभु के थे,उत्तम उच्च विचारक थे।
पतितों, पथभ्रष्टों के प्रभुर क्षमावान उद्धारक थे।
प्रभु की कीर्ति का कीर्तन करते, संकीर्तन प्रचारक थे।
प्रभु की ज्योति जगजीवन में भक्तीभाव जगाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महान बतलाता हू।
6. भक्तों को दिग दर्शक प्रभु ने,सदा दिशा निर्देश दिया।
संसारिक संसार के संसारियों, को है संदेश दिया।
नाम शब्द अवतार है सबको,
सांख्य योग उपदेश दिया नाम कीर्तन से मिलते भगवन, ये है आदेश दिया।
गुण ग्राहक बन करके प्रभु के नाम का गुण ही गाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
7. किया कीर्तन का प्रचार जब उनका सुनो विरोध हुआ उनके सत्य मार्ग मंें आकर,
पैदा है अवरोध हुआ बंद करो ये भजन कीर्तन, का़जी का प्रतिशोध हुआ।
भक्त बना काजी जब प्रभु की, महिमा का है बोध हुआ।
बोला काजी करो कीर्तन, सबकों में समझाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
8. दुष्ट जगाई माधाई ने,जब है अत्याचार किया।
नित्या नन्द प्रभु के माथे, पर पत्थर से वार किया
क्षमा किया प्रभु ने है उनको, न कोई प्रतिकार किया।
पाप कर्म से विरत है करके, दोन्हों का उद्धार किया।
मेरा भी उद्धार करो, प्रभु इच्छा मन में लाता हूं।
श्री चतैन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
9. महाप्रभु भक्तों से बोले,तुम सबको क्या खाना है।
आम की अच्छा भक्तों ने की, प्रभु का मन हरषाना है।
लगा दिया एक वृक्ष आम का, किसी ने भी न जाना है।
चमत्कार लख महाप्रभु का, अचरज सबने माना है।
चमत्कार को नमस्कार ये रीत जब में पाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
10. आत्म ज्ञान से महाप्रभु ने,प्रकट है अपना ज्ञान किया।
किया ग्रहण संयास आश्रम, सुखों का है बलिदान किया उपदेशक
प्रभु ने देकर, उपदेश सबका कल्यान किया
उनके परस्पर विरोधियों ने, भी उनका सम्मान किया।
धर्मावतारी प्रभु की कृपा से धर्म ध्वजा फहराता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
11. महाप्रभु अद्र्वत प्रभु के,ठहरे कुछ दिन घर आकर।
केन्द्र बनाया पुरी को अपना, मां की है आज्ञा पाकर।
किया दर्श साक्षी गोपाल का,
प्रभु ने है मंदिर जाकर प्रेमभाव में मगन हो गये,
प्रभु का है कीर्तन गाकरप्रभु की दया से
प्रभु की कृपा से सुखमय साज सजाता हूं
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
12. जगन्नाथ मंदिर में पहंुचे,मन की आंखे खोल रहे।
श्री चैतन्य अचेत हो गये, किंचित नहीं है
डो रहे किया परीक्षण सार्वभौंम ने,
अनुभव है अनमोल रहे। आई चेतना सुन के कीर्तन, हरे कृष्ण सब बोल रहे
प्रभु की अमृतवाणी के हर बोल-बोल दोहराता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
13. कहते महाप्रभु श्री कृष्ण,भगवान से है याचना करो।
नाम, रूप, गुण लीला में रत, हो करके साधना करो।
भगवद्गीता और भागवत, के प्रति है भावना करो।
कर्म करो, तज विषय वासना, काम की न कामना करो।
मानव से मानव को प्रेम हो मानवता हो मनाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिता बतलाता हूं।
14. कर व्याख्या वेदान्त सूत्र की,ज्ञान की ज्योति जगाई है।
मनगढ़त व्याख्या जो करते, बतलाई सच्चाई है।
परम सत्य न निराकार है, सत्य की ये गहराई है।
महाप्रभु ने भक्ती, मुक्ती की युक्ती बतलाई है।
भक्त और भगवान का नामा महाप्रभु से निभाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
15. महि पर महिमा मंडित होकर,महाप्रभु है महान हो गये।
परम पूज्य प्रख्या जगत में, भक्तों के भगवान हो गये।
दीन दयाल दयानिधि दाता, दीन बंधु दयावान हो गये।
ध्यान लगाकर श्री कृष्ण का, पुरी में अन्र्तध्यान हो गये।
सादर सेवा में हो समर्पित श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
16. श्री चैतन्य महाप्रभु भगवन,भक्तों के भण्डार भरो।
संकट, विकट, निकट न आवे, जन-जन के है कष्ट हरो।
वरदाता वरदान है देकर, वरद हस्त है शीश धरो।
डूबे न मझधार में नइया, भव में बेड़ा पार करो।
लालू विजय, अज्ञानी मूरख, न ज्ञानी न ज्ञाता हूं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की महिमा महान बतलाता हूं।
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