सभी वैष्णव को हरे कृष्ण,
श्रील प्रभुपाद की जय,
यदि हम वैष्णव को देखकर प्रसन्न नहीं होते तो अपराध होता है| iskcon मंदिर का एक पुजारी जो मुझे देखकर प्रसन्न नहीं होता, तो उसे वैष्णव अपराध लगेगा जो उसे मेरे कारण लगा है| तो क्या मुझे मंदिर जाना छोड़ देना चाहिए? कृपया सहायता करें |
हरी बोल|
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Replies
Hare Krsna Prabhuji,
PAMHO.
My humble request is that you concentrate on your sadhana and see to it that you do not commit any vaishnav aparadh. What someone else is doing, is their business. For one person, you will not go to temple and do darshan of their lordships? I heard in lecture recently that when we go to temple and do darshan of the lord, They also see us and that is why we become so happy to do darshan of the lord. So you will spoil your relation with God to save one devotee from vaishnav aparadh (which may not actually be the case. It could be that the pujari is having his own tensions and did not see you at all). Or it could be that the pujari is unhappy with you for something - you need to ask him humbly and sort it out.
Haribol,
Your servant,
Radha Rasamayi DD
हरे कृष्णा प्रभु जी
दण्डवत प्रणाम !
यदि आप को लगता है की पुजारी जी से आपकी वजह से अपराध हो रहा है, तो यदि आप मंदिर जाना बंद कर देंगे तो क्या उनका अपराध बंद हो जायेगा?
प्रभु जी आप न सही कोई दूसरा वैष्णव हो सकता है पर पुजारी जी को इस बात का शायद पता नहीं होगा, यदि आप वास्तव में उन्हें अपराध से बचाना चाहते हैं तो कृपा करके आप उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर समस्या का समधन निकलिए।
वैष्णव अपराध से बचाना ही हमारा कर्तव्य है हम जाने अनजाने में ऐसे कई गलतियां कर बैठते हैं और हमे पता नहीं होता।
वैष्णव होने का सबसे पहला गुण क्षमा है अगर आप के अंदर क्षमा, दया, विनम्रता और शालीनता नहीं है तो हम आप अच्छे वैष्णव नहीं बन सकते।
इसलिए आपका कर्त्वय है , आप जाइये और उन्हें भक्ति पथ से गिरंने से बचाइए।
हरे कृष्ण प्रभु जी
जय श्रील प्रभुपाद