भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय सात भगवदज्ञान
भूमिरापोSनलो वायु: खं मनो बुद्धिरेव च ।
अहङ्कार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा ॥ 4 ॥
भूमिः– पृथ्वी;आपः– जल;अनलः– अग्नि;वायुः– वायु;खम्– आकाश;मनः– मन;बुद्धिः– बुद्धि;एव– निश्चय ही;च– तथा;अहंकार– अहंकार;इति– इस प्रकार;इयम्– ये सब;मे– मेरी;भिन्ना– पृथक्;प्रकृतिः– शक्तियाँ;अष्टधा– आठ प्रकार की।
भावार्थ : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि तथा अहंकार – ये आठ प्रकार से विभक्त मेरी भिन्ना (अपर) प्रकृतियाँ हैं।
तात्पर्य : ईश्वर-विज्ञान भगव