अध्याय अठारह -- राजा ययाति को यौवन की पुनः प्राप्ति
1 श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा : हे राजा परीक्षित, जिस तरह देहधारी आत्मा के छह इन्द्रियाँ होती हैं उसी तरह राजा नहुष के छह पुत्र थे जिनके नाम थे यति, ययाति, सनयती, आयति, वियति तथा कृति।
2 जब कोई मनुष्य राजा या सरकार के प्रधान के पद को ग्रहण करता है तो वह आत्म-साक्षात्कार का अर्थ नहीं समझ पाता। यह जानकर, नहुष के सबसे बड़े पुत्र यति ने शासन सँभालना स्वीकार नहीं किया यद्यपि उसके पिता ने राज्य को उसे ही सौंपा था।
3 चूँकि ययाति के पिता नहुष ने इन्द्र क