भगवद्गीता यथारूप 108 महत्त्वपूर्ण श्लोक
अध्याय नौ परम गुह्य ज्ञान
यत्करोषि यदश्र्नासि यज्जुहोषि ददासि यत् ।
यत्तपस्यसि कौन्तेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥ 27 ॥
यत्– जो कुछ;करोषि– करते हो;यत्– जो भी;अश्नासि– खाते हो;यत्– जो कुछ;जुहोषि– अर्पित करते हो;ददासि– दान देते हो;यत्– जो;यत्– जो भी;तपस्यसि– तप करते हो;कौन्तेय– हे कुन्तीपुत्र;तत्– वह;कुरुष्व– करो;अर्पणम्– भेंट रूप में।
भावार्थ : हे कुन्तीपुत्र! तुम जो कुछ करते हो, जो कुछ खाते हो, जो कुछ अर्पित करते हो या दान देते हो और जो भी तपस्या करते हो, उसे मुझे