Hare Krsna
Please accept my humble obeisance. All glories to Srila Prabhupada
Topic : Suffering.
….. So why don't you take the remedy ? Mam eva ye prapadyante mayam etam taranti. Why you are so much disturbed by maya ? Just surrender to Krsna. So it is ourchoice. We do not do that, and we suffer. Mam aprapya nivartante mrtyu-samsara... Krsna is giving personally. He has taken you, and we are not accepting. What can be done ? Theknowledge is there, the process is there, the authority is there,all the acaryas, they have accepted, but we are so stubborn, we will not accept. That is the difficulty. We will manufacture our own ways. Yato mata tato patha. That is the difficulty…..
His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
Evening Darsana – “Everyone Requires A Guru” - May 12, 1977, Hrishikesh.
Comments
hari bol
LOVED IT..HARI BOL :)
Hare Krishna Prabhuji dandavat,
यह मनुष्य जीवन अत्यंत दुर्लभ है और अन्य शरीरों की भांति नाशवान होते हुए भी अर्थपूर्ण है | देवता भी मनुष्य शरीर की कामना करते है क्योंकि मनुष्य जीवन में ही भक्ति संपन्न की जा सकती है | भक्ति के कारण मनुष्य का सुप्त कृष्ण-प्रेम जागृत होता है और इस तरह उसका भौतिक बद्ध जीवन समाप्त हो जाता है (C.C.Madhya Leela 22.49) | नियमित भक्ति करते रहने से हृदय कोमल हो जाता है, धीरे धीरे सारी भौतिक इच्छाओं से विरक्ति हो जाती है तब वह कृष्ण के प्रीति अनुरुक्त हो जाता है | जब यह अनुरुक्ति प्रगाढ़ हो जाती है तब यही भगवत्प्रेम कहलाती है (C.C.Madhya Leela 19.177) | भगवत्प्रेम का लक्ष्य न तो भौतिक दृष्टि से धनी बनना है, न ही भवबंधन से मुक्त होना है | वास्तविक लक्ष्य तो भगवान की भक्तिमय सेवा में स्थित होकर दिव्य आनंन्द भोगना है (C.C.Madhya Leela 20.142) | प्रत्येक बद्धजीव का कर्तव्य है कि वह भौतिक सुखोपभोग के प्रीति आसक्त अपनी दूषित चेतना को गंभीर भक्ति में लगाये इस तरह उसका मन तथा चेतना पूरी तरह उसके वश में हो जाएंगे (S.B.3.27.5)| इस प्रकार वह सुख दुख से ऊपर उठ जाएगा |
हरे कृष्णा
Pain is inevitable...Suffering is optional. Don't let your mind tell you what it wants and then you suffer. Clear all that out and be free of it.
Thank You for nice blogs Prabhu!