भ्रमर गीत
मालिनी छंद १५ वर्ण १११ १११ २२,२ १२२ १२२
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
लमपट छलिया वो, श्याम तेरा सखा है,
चल हट उड़ जा क्यों, पाँव छूने खड़ा है।
नितनव कमली पे, प्रेम सारा लुटाता,
चुनकर मधु मीठा, रंग प्यारा जमाता।
मत कर विनती रे, जा हमें ना सता रे,
कुमकुम कपटी का, तू हमें ना दिखा रे।।1।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
सुन मधुकर श्यामा, श्याम के रंगवाला,
अधर रस चखाता, छोड जाता गवाला।
चतुर रसिक सारे, बंधु देखो सताते,
तन मन हम वारे, ये दया ना दिखाते।
चरण कमल लक्ष्मी, क्यों बताओ दबाती,
मृदु मधु चिकनी सी, बात उन्हें रिझाती।।2।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
बन कर वनवासी, छोड़ घर का द्वारा,
मत कर उसकी तू, चापलूसी दुबारा।
उड़ मधुपुर भौंरे, जा हमें ना बता रे,
मधुपुर नगरी की, सुंदरी को पटा रे।।
मनभर रस लीला, प्रेम वाली रचाना,
नित नव-नव गीतों, से गुलों को लुभाना।।3।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
मदन मुरलिया से, कौन कैसे बचा रे,
वश कर कर बाँधें, नैन वाले इशारे।
नटवर पर वारी, लोक परलोक नारी।
बन हम कठपुतली, नाचती संग सारी।।
विनय अब यही है ,याद उन्हे दिलाना।
सकलजगत धारी, नाम ना ये डुबाना।।4।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
ठग कर बलि बाँधा, रूप वामन बनाकर,
रघुवर बन मारा, बालि को मुख छिपाकर।
कमसिन असुरी को, नकविहीनी बनाया,
हर जनम सुनो तो, ढ़ोंग प्यारा रचाया।
तन मन सब काला, काक जैसा सताता,
नयनन कजरा का, रंग काला ड़राता।।5।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
दिन भर छलिये की, बात ही दोहराते,
जतन सब लगाते, क्यों भुला ही न पाते।
कपट मुरलिया ये, प्रेम चसका लगाये,
सुनकर धुन हिरनी, जाल में फंस जाये।
सचमुच वह कामी, ले गया ये जवानी,
छल कपट ठगी की, दोहरा ना कहानी।।6।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
इधर उधर जाकर, लौट क्यूँ हाय आया,
प्रियतम विनती क्या, तू जता ही न पाया।।
सुन अब बस जल्दी, हाल उनका सुना दे,
ब्रज जन नर नारी, याद हैं क्या बता दे?
गुलशन मुरली से, कब बताओ गुँजेगा?
मधुर मिलन का पल, क्या बताओ मिलेगा?।।7।।
गुनगुन कर भौंरे, हाय तू क्यो चिढ़ाये,
सुनसुन कपटी क्यों, तू हमें यू सताये।
शालिनी गर्ग
27 जनवरी 2023
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