श्रीमद् अगस्त्य संहिता अध्याय १३१-१३५
सिंहासने समासीनः सहितः सीतयानुजैः ।
अतसी कुसुम श्यामो रामो विजयतेऽनिशम् ॥१॥
अर्थ- अतसी यानी तीसी के पुष्प के समान श्याम वर्ण वाले अपने अभिन्न स्वरूपा श्रीसीताजी के साथ दिव्य सिंहासन में विराजमान एवं अनुज श्रीभरतजी श्रीलक्ष्मणजी श्रीशत्रुघ्नजी तथा श्रीहनुमानजी से सदा सेवित सर्वेश्वर श्रीरामजी सर्वदा सर्वोत्कर्ष रूपसे विजय प्राप्त करें अर्थात् सभी परिकरों से सेवित दिव्य सिंहासनासीन श्रीरामचन्द्रजी को सादर दण्डवत् प्रणाम करता हूँ।
स्वाश्रमे संश्रितं शिष्यैः प्रातर्