'Hare Krishna,
Here i am giving self created and written a Hindi poem on praise of GOD.Please read.
भगवद् महिमा
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
कृष्णा , इशू , नानक , बुद्धा , कितने है तेरे नाम ,
सर्वत्र है तेरी छाया , ये संसार है तेरी माया ,
ढूंढा तुझको जग जग , तुमको कंही न पाया ,
जब ढूँढ़ा अपने अंदर , तब देखी तेरी काया ,
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
अग्नि, जल , वायु , आकाश, पृथ्वी , से किया सृष्टि का निर्माण ,
सृष्टि का पालन भी तुझसे होता और तुझसे ही होता है संहार ,
सुख भी तुझसे , दुःख भी तुझसे , तुमसे ही है स्वाभिमान ,
धर्म भी तुझसे , अधर्म भी तुझसे , तुमसे ही है सृष्टि चलायमान ,
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
जल का तुमने जाल बिछाया , वायु से यंहा वंहा पहुंचाया ,
पंछी को तुमने पंख लगाए , क्या क्या जादू तुमने रचाये ,
माता , पिता , सखा , बंधू है सब तेरे अनेक रूप ,
जीवन में है प्राण तुमसे , प्रकृति में है तुमसे छाँव और धूप ,
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
साकार भी तुम ,निराकार भी तुम , तुम ही हो वेदो का ज्ञान ,
तुमको जान पाने का है आधार , गीता , बाइबल और कुरान ,
नास्तिक,आस्तिक ,निर्धन में करता तू वास , तू ही है धनवान ,
सृष्टि का पालन हार है तू , तू ही रखता सबका ध्यान ,
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
तुझसे ही है ज्ञानी का ज्ञान , राजा का मान और दानी का दान ,
तुझसे ही है भक्तो की भक्ति, यशवान की कीर्ति ,योद्धाओ की शक्ति ,
संसार है तेरी लीला , तू है इसका रचनाकार,
सत , असत , जीवन और मृत्यु सबका तू है आधार ,
कण कण में है भगवान , तेरी महिमा बड़ी महान ।
hare kṛiṣhṇa hare kṛiṣhṇa
kṛiṣhṇa kṛiṣhṇa hare hare
hare rāma hare rāma
rāma rāma hare hare
Comments
हरे कृष्णा प्रभुजी, दण्डवत
इस कलियुग में कृष्ण की आराधना की विधि यह है कि भगवान के पवित्र नाम के कीर्तन द्वारा यज्ञ किया जाए, जो बुद्धिमान ऐसा करता है वह निश्चय ही कृष्ण के चरणकमलों में शरण प्राप्त करता है (CC.अन्त्य लीला 20.9) | इस कलियुग में भगवान कृष्ण ने अपने नाम के रूप में अवतार लिया है, कलि-काले नाम-रुपे कृष्ण-अवतार (CC.आदि लीला 17.22) | इस संसार में काम, क्रोध, लोभ, मोह,घमण्ड और ईर्ष्या जैसे अनर्थ हमारे दुखों के मूल कारण है और हरे कृष्ण महामंत्र इतना शक्तिशाली है कि वह इन सब को समूल नष्ट कर सकता है | भक्ति प्रज्ज्वलित अग्नि की तरह विगत जीवन के सारे पापों के फलों को जला देती है | यदि हम निरन्तर कृष्ण के पवित्र नाम का कीर्तन तथा भगवान कृष्ण के दासो (भक्तों) की सेवा करें, तो जल्दी ही हमें श्री कृष्ण के चरणकमलों में शरण प्राप्त हो सकेगी |
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे ; हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे !
आपका सेवक