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मुबारक हो मुबारक हो नया साल आया
सबके जीवन में एक नई उमंग लाया
12 बजते ही हमने फोन उठाया
और धना धन फॉरवर्ड का बटन दबाया

लो जी आ गया नया साल
अचानक से आया ख्याल
क्या ये नया साल कुछ नया लाएगा?

या नया साल पिछले साल जैसे ही दोहराएगा?

ऐसे समझें: पिंजरे में बंद एक तोता है
जो बेचारा भूख से बहुत रोता है
क्योंकि मैं व्यस्त हूँ पिंजरे को रंगने
तोता बेचारा लगता है भूख से तड़पने

वैसे ही मैं, एक आत्मा या तोता हूँ शरीर या पिंजरे में रहता हूँ
शरीर या पिंजरे का ध्यान न रखें, मैं ऐसा नहीं कहता हूँ
लेकिन मुझे या तोते को भी तो कुछ खाना है
आत्मा की खुराक क्या है, ये मुझे शास्त्रों से पता लगाना है

शास्त्र कहते हैं हरिनाम एव केवलम
चैतन्य महाप्रभु ने हरिनाम संकीर्तन करके दिखाया स्वयं
कब तक हम पिंजरे को ही चमकाएंगे
क्या नए साल में तोते को भी कुछ खिलाएंगे?

अगर वही सब करना है दोबारा
तो फिर नया साल कैसे होगा हमारा
वही खुश रहने की नाकाम कोशिशें
इच्छा पूरी करने की लगातार सिफारिशें

परेशान जिंदगी, वही निराशा
गुस्से में बदलती, असंतुष्ट अभिलाषा
कुछ नया पाने के लिए, बदलना होगा
नई मंजिल की तलाश में, नए रास्ते पर चलना होगा

कब तक मैं चबे हुए को चबाऊंगा?
निचुर गये गन्ने से कहा से रस लाऊंगा?
हरिनाम की शरण लिए बिना मैं कैसे नया कुछ पाऊंगा?
भक्तों का संग करूँ तो मैं हर रोज नया साल मनाऊंगा

- अनुपम श्रीवास दास
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