।।श्री श्रीगुरु-गौरांगौ जयतः।।
नमःॐ विष्णुपदाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले।
श्रीमते भक्तवेदान्तस्वामिनिति नामिने।।
नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष शून्यवादी पाश्चात्य देश तारिणे।
श्रीमद् भागवतम् - (भगवान का साहित्यिक अवतार) भौतिक दृष्टि से प्रेरित होने वाले समस्त धार्मिक कृत्यों को पूर्णतया बहिष्कृत करते हुए, सर्वोच्च सत्य का प्रतिपादन करता है, जो पूर्णतया शुद्ध ह्रदय वाले भक्तों के द्वारा बोधगम्य है। यह सभी के कल्याण के लिए मोह से विभेदित है। ऐसा सत्य तापत्रय को समूल नष्ट करने वाला है।महामुनि श्री व्यासदेव ने इसे लिखकर जो बहुत सुन्दर रुप प्रदान किया है,
ईश्वर-साक्षात्कार के लिए अपने आप में पर्याप्त है। तो फिर अन्य किसी शास्त्र की कैसी आवश्यकता? ज्योंही कोई ध्यानपूर्वक तथा विनीत भाव से भागवत के संदेश को सुनता है या पढ़ता है तो ज्ञान के इस अनुशीलन से उसके ह्रदय में परमेश्वर श्रीकृष्ण स्थापित हो जाते हैं। श्री व्यासदेव ने अपने पुत्र मुनि शुकदेव गोस्वामी को इसे ह्रदयंगम कराया। यह ज्ञान परिक्षित महाराज ने उनसे श्रवण कर जीवन की पूर्णता प्राप्त की। पाश्चात्य देशों के लोगों के आध्यात्मिक उत्थान तथा भारतीय संस्कृति के मूल से साक्षात्कार के उद्देश्य से श्रील प्रभुपाद तथा उनके शिष्यों ने इसका अंग्रेजी अनुवाद प्रस्तुत किया। उसी श्रीमद् भागवतम् के बीबीटी द्वारा अनुदित सभी श्लोकों के हिंदी अनुवाद को हिंदी भाषियों के रसास्वादन के लिए भक्त जगदीश चौहान प्रभु ने इस्काॅन डिज़ायर ट्री पर दिनांक 6अक्तुबर 2020 से 5 सितंबर 2021 तक प्रतिदिन एक अध्याय को ब्लाग के रुप में प्रस्तुत किया है। संभवतः पहली बार ऐसा नियमित प्रसारण हुआ है। भक्तों से निवेदन है कि इसको अन्य भक्तों के लाभार्थ अधिक से अधिक वायरल करें।
विनित
दासानुदास
ललितमाधवदास
हरे कृष्ण भक्ति-वृक्ष
इस्काॅन इन्दौर
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