क्रोध मतलब खतरा
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श्रीमद् भगवद्गीता के १६वे अध्याय के चौथे श्लोक में आसुरी प्रकृति को समझाते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि,
दम्भो दर्पोऽभिमानश्र्च क्रोधः पारुषयमेव च। अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।
हे पृथापुत्र दंभ, दर्प, अभिमान, क्रोध, कठोरता तथा अज्ञान ये आसुरी स्वभाव के गुण हैं।
इस श्लोक के प्रशंसनीय आशय में श्रील प्रभुपाद कहते हैं कि, “इस श्लोक में नरक को ले जाने वाले राजमार्ग का वर्णन हैं। आसुरी स्वभाव वाले लोग धर्मं तथा आध्यात्मिक प्रगति का का प्रदर्शन करना चाहते हैं, हांलाकि वे उनके वे सिद्धांतों का पालन नही करते वे सदैव किसी शिक्षा या प्रचुर सम्पत्ति का अधिकारी होने का घमड़ करते हैं। वे चाहते है की अन्य लोग उनकी पूजा करें और उन्हें सम्मान दे, भले ही वे सम्मान करने के योग्य न हों। ये छोटी छोटी बातों पर क्रुद्ध हों जाते हैं, खरी-खोटी सुनाते हैं और नम्रता से नहीं बोलते। वे यह नहीं जानते कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। वे सब कुछ मनमौजी ढ़ग से, अपने अभिष्ट की सिद्धी हेतु करते हैं और किसी प्रभुत्व को स्वीकार नही करते जब हम गुस्सा होते हैं तब हम सत्य को भूल जाते हैं और कई गल्तियाँ कर सकते हैं।
श्रीमद् भगवद्गीता के अध्याय २ श्लोक ६३ में भगवान श्री कृष्ण बड़े मनमोहक ढ़ग से से क्रोध से प्रभावित मनुष्यों की गति के बारे में बताते हैं।
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
क्रोध से पूर्ण मोह उत्पन्न होता है और मोह से स्मरणशक्ति का नाश हों जाता है। जब स्मरणशक्ति भ्रमित हों जाती है, तो बुद्धि नष्ट हों जाती है और बुद्धि नष्ट होने पर मनुष्य भव-कूप में पुनः गिर जाता है। ( क्रुद्धित होने पर कटु वाणी सवतः ही निकलती है)
इस सन्दर्भ में एक दिलचस्प कहानी है।
एक बार एक संत ने अपने शिष्यों से पूछा, “हम गुस्से में चिल्लाते क्यो हैं? जब हम खिन्न होते हैं, तो एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं)
शिष्यों ने कुछ समय विचार किया और उनमें से एक शिष्य ने कहा, “हम अपनी शांति खो देते हैं इसलिए चिल्लाते हैं।”
संत ने पूछा, “पर जब दूसरा व्यक्ति आपके पास ही खड़ा हों तो इतना चिल्लाना क्यों? क्या यह संभव नहीं कि हम उस व्यक्ति से नरम आवाज़ में बात करें? हम एक दूसरे पर क्यों चिल्लाते हैं जब हम क्रोधित होते हैं?”
शिष्यों ने कई जवाब दिए पर किसी भी जवाब से संत संतुष्ट ना दिखाई दिये। अंत में उसने कहा, “जब दो व्यक्ति एक दूसरे पर क्रोधित हों तो उनका हृदय)
बहुत दूर हों (जाते हैं। इस दूरी को तय करने हेतु उन्हें चिल्लाना होता है ताकि वे एक दूसरे को सुन सके। वो जितना अधिक क्रोधित होते हैं उन्हें अपने हृदय की दूरी तय करने के लिये उतना ही चिल्लाना पड़ता हैं फिर संत ने पूछा, “क्या होता है जब दो लोग एक दूसरे से प्रेम करते हैं?
वे एक दूसरे पर चिल्लाते नहीं बल्कि सौम्यता से बात करते हैं, क्योकि उनका हृदय बहुत करीब होता है। उनके बीच की दूरी बहुत कम होती हैं।”
संत ने आगे कहा, “जब वे लोग एक दुसरे से और ज्यादा प्रेम करते तब क्या होता हैं? वे कुछ बोलते नहीं बस फुसफुसाते हैं और एक दुसरे के प्रेम में और करीब आते जाते हैं। अंत में उन्हें फुसफुसाने की भी जरूरत नहीं होती, बस एक दुसरे को देखते हैं। इस तरह लोग करीब होते हैं जब वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं। जब आप किसी से बहस करें तो इसका ध्यान रखें कि आपका हृदय उनसे दूर न हो जाए, ऐसे शब्द ना कहें जिससे दूरी और बढ़ जाए, वर्ना कभी ऐसा दिन आ जायेगा कि दूरी इतनी बढ़ जायेगी कि आपको आने का रास्ता नहीं मिलेगा।”
क्रोध से, हमारे साथ साथ हमारे आस पास के लोगों के शारीरिक, मानसिक और अध्यात्मिक स्वास्थ्य को खतरा हो जाता है। क्रोध पर विजय पाने का केवल एक रास्ता है और वो है कि हम अपनी नियंत्रण करने की प्रवृत्ति का त्याग करें और श्रीकृष्ण ही सबसे बड़े नियंत्रक हैं, ये स्वीकार करें।
हम प्रार्थना करें कि हम क्रोध का ग्रास ना बनें, तथा सभी जीवों से मित्रवत सम्बन्ध रखते हुए उन्हे परमात्मा के अंश के रूप में देख सके।
धन्यवाद।
श्रील प्रभुपाद और श्रील गुरुदेव की सेवा में कालचक्र कृष्ण दास और सुदर्शना देवी दासी
Chant,
Hare Krishna Hare Krishna
Krishna Krishna
Hare Hare
Hare Rama Hare Rama
Rama Rama
Hare Hare
and be happy.
Comments
Hare Krishna
atyant manohari shiksha pr prakash daala... dhanyawad
Jai shri krishna Prabhu ji,
We do not want to anger. Then comes the Krodh. how can we left the krodh. Yes Parbhu, Please guide to me.
Jai Shri Krishna..
Dear Prabhuji.. please translate to english, I tried google translate but it was not very successful. There is too much grammar problem and becomes difficult to understand.
From the little that was translated even with grammar problems was very helpful to read.
Hari Bol..
Great ....thanks
JAI Shri krishan Prabhu Dadvat Pranam.
प्रभु जी ह्म इस कौध से कैसे बचे, कोई यह हम नही जानते है कब ह्मे कौध आता है.
निताई गौर प्रमानंदे हरि हरि बोल!!!!!
16 ch 01 sholoka
abhyam
prabhu jee hare krishna
ab mai krodh nahi karuga dinesh ratlam mp
i am recite hare krishna daily
prabhuji, hruday ke baath bahut accha laga. magar sabhi se mithratha thoda katin hain. our ye hamare vash me bhi nahi hain