- भगवत चिंतन दास
श्रील प्रभुपाद आपने गुरु कि आज्ञा ली थी सिरपर |
छोड दिया वृन्दावन आपने कृष्ण थे जहाँपर ||
ध्यान दिया आपने विदेश मे प्रचार करने पर |
लक्ष्य था आपका चैतन्य महाप्रभु का संदेश फ़ैलाने पर ||१||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
प्रचार का प्रयास किया आपने खुद्के घरपर
भक्ति को किसीने नही लिया अपने सरपर II
सुमती मोरारजीने आपकी ही जिम्मेदारीपर I
चढ़ा दिया आपको प्रचार के लिए जलदुतपर ||२||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
रौद्ररुपी समुन्दर में संकटों का सामना करने पर |
छोड़ा नहीं धैर्य आपने दो हार्ट अटैक आनेपर ||
धीर दिया था कृष्ण ने आपके सपनों में आकर |
याद नहीं आपको फिर भी आपको अपना घर ||३||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
संकटरूपी समुन्दर की लहरोंसे बचनेपर |
कविता लिखी थी आपने कृष्ण की कृपा पर ||
क्यों जा रहा है बुढा प्रचार के लिए जवान होकर |
जलदुत के लोगोंने सर झुकाया अपने उत्साहपर ||४||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
न्यूयार्क की गंदी जगह थी जिस बॉवरी में रहकर |
जगा दिया सब बद्धजीवोंको आपने हरे कृष्ण सुनाकर ||
नवजीवन दिलाया लोगोंको आपने कृष्ण भक्ति देकर |
कोई नहीं था वहाँ उन लोगोंको आपसे बढ़कर ||५||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
१९६६ में कृष्णभावना का बीज बोकर |
शुरू किया इस्कॉन गुरु गौरांग की दयापर ||
मायाके गोदमें सोये हुए बद्धजीवोंको उठाकर |
रख दिया सबको आपने भगवान कृष्ण की चरणोंपर ||६||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
प्रचार किया आपने इतनी उम्र होनेपर |
फैला दिया कृष्णभावनामृत सारे विश्वभर ||
वैदिक तत्वज्ञानपर खूब ग्रंथ लिखकर |
ज्ञान दिया आपने बद्धजीवके अज्ञानपर ||७||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
सोलह मालाओंका जप सबको करवाकर |
चार नियम पालन के आचरण की शिक्षा देकर ||
महाभागवतोंके पदचिन्होंपर चलकर|
सिखा दिया कैसे चलना हैं गोलोक राह्पर ||८||
क्योंकि नजर थी आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
चढ़ाइए अपने हाथमें हाथ लेकर |
गोलोक जा रही भक्तोंकी नैयापर ||
दया किजिए इस दीनदुखी बद्धजीवोंपर |
गिरा दिजिए हमको भगवान् श्रीकृष्ण की चरणोंपर ||९||
क्योंकि नजर हैं आपकी सिर्फ़ गुरु की आज्ञा पर || ध्रुo ||
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