महारास की निशा , धरा पर
श्री राधा के कर में शोभित ,
मोहक दर्पण का प्याला.
उसमें सजती केशव की छवि
आज बन गई है हाला.
आँखों से, बस, धीरे धीरे,
नील-वर्ण मधु पीती हैं,
उतर , बन गई मधुशाला.
श्री राधा के कर में शोभित , मोहक दर्पण का प्याला. उसमें सजती केशव की छवि आज बन गई है हाला. आँखों से, बस, धीरे धीरे, नील-वर्ण मधु पीती हैं, महारास की निशा , धरा पर उतर , बन गई मधुशाला.
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