"A living entity who, as a result of attachment to a woman in his previous life, has been endowed with the form of a woman, foolishly looks upon maya in the form of a man, her husband, as the bestower of wealth, progeny, house and other material assets."(SB 3.31.41)
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कितना नसीब होता वोह सामने ही होता
वोह साँवरा मुरारी,मेरे करीब होता
मिट्टी में आँसू जो गिरे सब देखते रहे
अछा ही होता-पोंछने वाला भी साथ होता
उनके ही राज में हम,महफिल में बेठे हैं
कितना ही अछा होता,जो देख लिया होता
सुना हैं करुना से भरा दिल हैं हजूर का
क्या जाता आपका,जो दिल से लगाया होता
आपकी चुप से समझा,के जमाना भी बुरा हैं
अछा ही होता जो हमे,दिला में छिपाया होता
बोलो जरा तो मोहन,'हरिदासी' अर्ज पे
मीठा सा कुछ बोल के,कुछ हँस दिया होता
जय श्री हरि:
हरियाली तीज की सभी व्यस्नवो को हार्दिक बधाई हो !आज के दिन अकारण करुना वरमल्या श्री ठाकुर बांके बिहारी लाल वृन्दावन मे प्रिया जू संग झुला झूलते है !........श्री बांके बिहारी लाल की जय !! जय जय श्री राधे !!
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मेरे साँवरिया, मेरे प्रियतम, मेरे हमदम
तू चितचोर, माखनचोर, नंदकिशोर
मेरे प्यारे रास रसिया
शेल शबीले कृष्णा कन्हैया
मुरली बजैया साँवरे मनहर
कोई बंसी की प्यारी तान सुना ना
मेरी पायलों को रुनुक झुनुक
अपनी तानो पे नचा ना
मोहे यमुना के तीर बुला ना
अपनी वो प्यारी लीला
फिर से दिखा ना
कभी हाथ पकड़ना
कभी मटकी फोड़ देनी
कभी अपनी मुरली की धुन पे मस्त बनाना
कभी हमे बिन सुर ताल नचाना
फिर सबके बीच पागल कहलवाना
कान्हा मेरे प्रियतम आ जा
आकर मोहे अपना बना जा
मेरे साँवरिया आ जा
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कितना नसीब होता वोह सामने ही होता
वोह साँवरा मुरारी,मेरे करीब होता
मिट्टी में आँसू जो गिरे सब देखते रहे
अछा ही होता-पोंछने वाला भी साथ होता
उनके ही राज में हम,महफिल में बेठे हैं
कितना ही अछा होता,जो देख लिया होता
सुना हैं करुना से भरा दिल हैं हजूर का
क्या जाता आपका,जो दिल से लगाया होता
आपकी चुप से समझा,के जमाना भी बुरा हैं
अछा ही होता जो हमे,दिला में छिपाया होता
बोलो जरा तो मोहन,'हरिदासी' अर्ज पे
मीठा सा कुछ बोल के,कुछ हँस दिया होता
हरियाली तीज की सभी व्यस्नवो को हार्दिक बधाई हो !आज के दिन अकारण करुना वरमल्या श्री ठाकुर बांके बिहारी लाल वृन्दावन मे प्रिया जू संग झुला झूलते है !........श्री बांके बिहारी लाल की जय !! जय जय श्री राधे !!
मेरे साँवरिया, मेरे प्रियतम, मेरे हमदम
तू चितचोर, माखनचोर, नंदकिशोर
मेरे प्यारे रास रसिया
शेल शबीले कृष्णा कन्हैया
मुरली बजैया साँवरे मनहर
कोई बंसी की प्यारी तान सुना ना
मेरी पायलों को रुनुक झुनुक
अपनी तानो पे नचा ना
मोहे यमुना के तीर बुला ना
अपनी वो प्यारी लीला
फिर से दिखा ना
कभी हाथ पकड़ना
कभी मटकी फोड़ देनी
कभी अपनी मुरली की धुन पे मस्त बनाना
कभी हमे बिन सुर ताल नचाना
फिर सबके बीच पागल कहलवाना
कान्हा मेरे प्रियतम आ जा
आकर मोहे अपना बना जा
मेरे साँवरिया आ जा
as good as krsna wants........
hru??????????