एक बार अकबर और उनके मंत्री बीरबल जंगल के रास्ते से जा रहे थे। लम्बी दूरी की यात्रा करके वे इतने थक गए तो उन्होंने एक पेड़ के नीचे बैठने का निश्चय किया। लम्बी यात्रा के पश्चात उनको भूख लगी तब अकबर ने बीरबल को कहा, "बीरबल चलो देखते हैं पास में कोई नगर होगा तो कुछ भूख मिटाते हैं, वैसे भी इस जंगल में कौन आएगा हमे भोजन देने ?"

बीरबल भगवन श्री राम के नामों का उच्चारण कर रहे थे, उन्होंने अकबर की बातों को सुना पर कुछ जवाब नहीं दिया।
अकबर ने कहा, "अरे! यह तुम्हारा नाम जप से क्या पेट भर जायेगा?, भोजन लेने के लिए तो नगर में चलना ही पड़ेगा।
बीरबल ने पुनः कुछ जवाब नहीं दिया और नाम जप में लगे रहे।
बीरबल को देख, अकबर ने सोचा यह तो भूख से मरेगा और मुझे भी मारेगा, मैं ही जाता हूँ नगर में।
ऐसा सोच कर अकबर नगर की और चल पड़े, नगर वासियों ने राजा (अकबर) को आया देख अत्यन्त प्रसन्न हुए और जिसके घर में जो कुछ था खाने को लाकर अकबर को दिया।
अकबर ने अच्छे-अच्छे व्यंजनों को खूब आनंद से खाया और सोचे मैंने तो खा लिया पर वो बीरबल वैसे ही भूखा रह गया। उसके लिए कुछ ले जाना चाहिए, ऐसा सोच कर अकबर ने बीरबल के लिए भोजन लिए और जंगल की और चल पड़े।
अकबर ने कहा, "देखो! तुम यहीं बैठे रहे और मैं भोजन भी कर के आ गया!" ऐसे राम नाम जपने से पेट नहीं भरता? ऐसा कहते हुए भोजन को बीरबल के सामने रख दिया।
बीरबल ने भोजन कर लिया और तृप्त होकर बोले, "आज मुझे दृढ विश्वास हो गया की राम नाम में कितनी शक्ति है, भगवान ने एक राजा के द्वारा मेरे भोजन का प्रबंध करा दिया।
इस कहानी के माध्यम से हमे यह शिक्षा मिलती है कि यदि भगवान के पवित्र नामो में हमारा दृढ विश्वास है तो सब कुछ संभव है।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

जय श्रील प्रभुपाद

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