हरे कृष्ण माताजी एवं प्रभुजी ,
हम भगवान के अंश होने के कारण हमेशा किसी न किसी की सेवा करते हैं। सेवा करना हमारा स्वाभाव है क्यूंकि अंशी को अंश की सेवा करनी होती है। अगर हम किसी इंसान की सेवा नहीं करते तो कुत्ते अथवा बिल्ली पाल लेते हैं।
पर यहाँ सेवा हमें किसकी करनी चाहिए यह जानना है। वास्तव में हम भगवन के अंश होने के कारण , भगवन की सेवा करना ही हमारा कर्त्वय है। पर इतने जन्मों से हम भौतिक संसार के वश में होकर हम बिलकुल भूल गएँ हैं की वास्तव में हमे किसकी सेवा करनी चाहिए।
भगवन हमारे परमपिता है, और हमे पुत्र अथवा पुत्री होने के नाते सम्पूर्ण जीवन भगवन की सेवा में तत्पर रहना चाहिए। भगवन की सेवा से हमे दो लाभ है, एक तो इस सांसारिक बंधन से छुटकारा और दूसरा भागवत प्राप्ति।
हमे अन्य किसी सांसारिक जीव अथवा किसी अन्य की सेवा को त्याग कर केवल मात्र भगवन की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि यदि हम पेड़ के हर पत्ते अथवा शाखाओं को जल देने का प्रयास करेंगे तो विफल हो जाएंगे अपितु जड़ को जल देना अत्यंत सुगम है और वह जल सभी पत्तीओं और शाखाओं को आसानी से मिल जाता है।
इसी तरह यदि हम भगवान कृष्णा की सेवा करते हैं तो हम सभी को प्रसन्न रख सकते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
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