संस्कृत बनेगी नासा की भाषा
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Updated on: Mon, 26 Mar 2012 03:13 AM (IST) आगरा [आदर्श नंदन गुप्त]। देवभाषा संस्कृत की गूंज कुछ साल बाद अंतरिक्ष में सुनाई दे सकती है। इसके वैज्ञानिक पहलू का मुरीद हुआ अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा है। इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के बाद अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जुट गया है। गत दिनों आगरा दौरे पर आए अरविंद फाउंडेशन [इंडियन कल्चर] पांडिचेरी के निदेशक संपदानंद मिश्रा ने 'जागरण' से बातचीत में यह रहस्योद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि नासा के वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने 1985 में भारत से संस्कृत के एक हजार प्रकांड विद्वानों को बुलाया था। उन्हें नासा में नौकरी का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि संस्कृत ऐसी प्राकृतिक भाषा है, जिसमें सूत्र के रूप में कंप्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता है। विदेशी उपयोग में अपनी भाषा की मदद देने से उन विद्वानों ने इन्कार कर दिया था। इसके बाद कई अन्य वैज्ञानिक पहलू समझते हुए अमेरिका ने वहां नर्सरी क्लास से ही बच्चों को संस्कृत की शिक्षा शुरू कर दी है। नासा के 'मिशन संस्कृत' की पुष्टि उसकी वेबसाइट भी करती है। उसमें स्पष्ट लिखा है कि 20 साल से नासा संस्कृत पर काफी पैसा और मेहनत कर चुकी है। साथ ही इसके कंप्यूटर प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा का भी उल्लेख है। स्पीच थैरेपी भी वैज्ञानिकों का मानना है कि संस्कृत पढ़ने से गणित और विज्ञान की शिक्षा में आसानी होती है, क्योंकि इसके पढ़ने से मन में एकाग्रता आती है। वर्णमाला भी वैज्ञानिक है। इसके उच्चारण मात्र से ही गले का स्वर स्पष्ट होता है। रचनात्मक और कल्पना शक्ति को बढ़ावा मिलता है। स्मरण शक्ति के लिए भी संस्कृत काफी कारगर है। मिश्रा ने बताया कि कॉल सेंटर में कार्य करने वाले युवक-युवती भी संस्कृत का उच्चारण करके अपनी वाणी को शुद्ध कर रहे हैं। न्यूज रीडर, फिल्म और थिएटर के आर्टिस्ट के लिए यह एक उपचार साबित हो रहा है। अमेरिका में संस्कृत को स्पीच थेरेपी के रूप में स्वीकृति मिल चुकी है।
Chant,
Hare Krishna Hare Krishna
Krishna Krishna
Hare Hare
Hare Rama Hare Rama
Rama Rama
Hare Hare
and be happy.
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