श्य़ामराधे कोई ना कहता,
कहते राधेश्य़ाम
जन्म जन्म के भाग जगा दे,
ईक राधा का नाम ।
राधा के बिना श्य़ाम है आधा,
कहते राधेश्य़ाम ।
बोलो राधे-राधे राधे-राधे
राधे-राधे श्य़ाम ।।
वर्य़्थ पड़ा माला बिन मोती,
वर्य़्थ बिना दीपक के ज्य़ोति
चंदा बिना चाँदनी कैसी,
सूरज बिना धूप ना होती ।
बिन राधा के कहाँ है पूरा,
नटनागर का नाम
बोलो राधे-राधे राधे-राधे
राधे-राधे श्य़ाम ।।
साथ है जैसे जल की धारा
साथ है जैसे नदी किनारा
साथ है जैसे नील गगन के
सूरज चंदा तारा तारा ।
वैसे इनके बिना अधूरा,
मन वृंदावन धाम ।
बोलो राधे-राधे राधे-राधे
राधे-राधे श्य़ाम ।।
श्री राधा को जिसने भुलाय़ा
उसने अपना जनम गंवाय़ा
धन्य हुई वो वाणी जिसने
राधाश्य़ाम है गाया ।
उनका सुमिरन करे बिना
कब मिलता है विश्राम ।
बोलो राधे-राधे राधे-राधे
राधे-राधे श्य़ाम ।।
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