I wish to share this poem.
कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो
पायल का एक घुँघरू ही बना लो
और उसे अपने चरणकमलों से लगा लो
कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो
कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो
और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो
कान्हा जी हमे अपनी मुरली नही तो
अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो
और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो
कान्हा जी हमे अपना मित्र
नही तो दासो का दास ही बना लो
यूं कुछ कृपा दृष्टि हम पर बर्षा दो
कान्हा जी और कुछ नही तो अपने
चरणों की धूल ही बना लो
वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो
सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर
चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊँ मै
पायल का एक घुँघरू ही बना लो
और उसे अपने चरणकमलों से लगा लो
कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो
कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो
और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो
कान्हा जी हमे अपनी मुरली नही तो
अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो
और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो
कान्हा जी हमे अपना मित्र
नही तो दासो का दास ही बना लो
यूं कुछ कृपा दृष्टि हम पर बर्षा दो
कान्हा जी और कुछ नही तो अपने
चरणों की धूल ही बना लो
वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो
सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर
चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊँ मै
In service of Sri Sri Radha Radhikaraman
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