मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं ! घनघोर
घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!
यमुना का किनारा हो , निर्मल जल धरा हो !
वहां झुला झुलाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !! जागृत
की अवस्था में, तुम सामने हो मेरे ! सो जाऊ
तो सपनों में घनश्याम तुम्हें देखूं !! वृन्दावन
की गल्लियाँ हो, संग चंचल सखियाँ हो! वहां रास
रचाते हुए घनश्याम तुम्हें देखूं !! टेढे हो खड़े मोहन,
टेढा है मुकुट तेरा ! अधरों पे धरे मुरली घनश्याम
तुम्हें देखूं !! मधुवन की लताओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !
घनघोर घटाओं में घनश्याम तुम्हें देखूं !!
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Jai Sri Krishna!