हरे कृष्णा ।
बुद्धिमान व्यक्ति व्याहवारिक (External) और आध्यात्मिक (Internal) जीवन को सुचारू ढंग से जीने के लिए चार विधियों का प्रयोग करते है । उन विधियों को साम , दाम , भेद , दण्ड कहते है ।इन चार विधियों को सदा क्रम पूर्वक ही उपयोग में लाते है । जैसे की सर्वप्रथम साम को उपयोग करना चाहिए , यदि फिर भी ना बात बने तो दाम का उपयोग करते है और उसके बाद भेद का और सबसे अंत में दंड को अपनाना चाइये । निम्न तालिका में उपरोक्त चार विधियों को व्याहवारिक (External) और आध्यात्मिक (Internal) जीवन जीने के लिए समझाया गया है ।
व्याहवारिक (External) | आध्यात्मिक (Internal) |
साम : शांति और समझदारी के साथ वयहवार | साम : समभाव बनाये रखे - सुखद और दुखद दोनों सवेंदना को समभाव की दृष्टि से देखो। ध्यान , प्राणायाम आदि उपाय है समभाव रखने के लिए । |
दाम : सहज हो जाना , घटनाओ को घटने देना , क्षमा देने का गुण और स्वंतंत्रता देने का भाव | दाम : जो भी मन की शान्ति को भंग कर रहा है उसका त्याग । मन को विचलित करता है - कुछ गलत करने का अपराध भाव और कोई महान काम करने का अहंकार भाव , दोनों का ही त्याग करे । |
भेद : विवेचन , भेदभाव और जानबूझ कर दूरी बना लेना ( लोगो की उपेक्षा (ignore) करना ) | भेद : छड़भंगुर और शाश्वत के बीच का अंतर । परिवर्तन संसार का नियम है । शरीर और बाकी सब ( संवेदनाये ( सुख एवं दुःख) और आस पास) बदल रहा है , केवल चेतना ही शाश्वत है । |
दण्ड : छड़ी हाथ में उठा के दंड देना | | दण्ड : दृढ निश्चय और लगन ही आध्यात्मिक अनुशाशन के लिए जरूरी है । जप करना , कीर्तन करना , आध्यात्मिक प्रवचन सुनना , सत्संग , साधना , आध्यात्मिक पुस्तके पढ़ना , गुरु का सानिध्य आदि सब मन को अनुशाषित करने के लिए दंड का कार्य करते है । |
भगवान श्री कृष्णा की सेवा भाव मन में रख कर , उपरोक्त चार उपाय हम अपने जीवन में उतार सकते है और अपने जीवन को सरल और सहज बना सकते है ।
Your servant
Vibhav Dikshit
Comments
Satyam Shivam Sundaram :)
Hare Krishna....