*🌹जय श्री हरि🌹* *🌹जय श्री हरि🌹*
_*'॥🦋ऋतु रुचि 🦋 ||*_
*●▬▬▬▬▬▬♧ॐ♧▬▬▬▬▬▬●*
_निकुँज में सब ऋतु , सब रस , सब सुख सँग होते है ।_
_यहाँ उनका प्रकट ऋतु की सेवा चिंतन सँग एक एक का अभ्यास या भजन किया जाता है ।_
_वहाँ निकुँज में सब रस-सेवा- सुख सँग होते है ।_
_हम दोनों तरह से चर्चा करते है ।सब रसों की सामूहिक उत्सव सँग या यहाँ की ऋतु में वह रस विशेष प्रकट हो पाता तो उसकी बात जैसे वर्षा होने पर हिंडोले की बात । उस समय अगर रँग होली की बात करें तो वह भी हो सकती क्योंकि सब रस सँग होते है , पर भावुक जन जो तब ऋतु होती उसके असर से तब प्रकट रस को निकट से अनुभव बना सकते है । नित्य रस सिद्ध होने पर सभी रस , सभी सेवाओं का कभी भी अनुभव होने लगता है । फिर भी तत्काल जो ऋतु होती उसकी बात ऐसे नित्य रसिक के हृदय में स्वतः झूम रही होती है । सो हमारी बात उनको सुख देती जिनकी लीला प्रकट है या होगी या जिन्हें लालसा है ।_
_ऋतु बाहर जो है । भीतर निकुँज में रूचि है युगल की । बाहर ऋतु को प्रधान कर एक एक सेवा को पकाया जाता ।। भीतर सब रुचिवत सँग होती ।_
*●▬▬▬▬▬▬♧ॐ♧▬▬▬▬▬▬●*
*💫⚘श्री राधेशनन्दन महाराज जी💫⚘*
Comments